बरेली,10 जनवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश के बरेली की पाक्सो विशेष अदालत ने शुक्रवार को चार साल पुराने मामले में दो दरिंदों को फांसी की सजा सुनाई है।
अभियोजन के अनुसार 29 जनवरी 2016 की शाम जब नबाबगंज के गांव की बेटी घर नहीं पहुंची, दो परिजन उसे तलाशने निकले । बेटा का शव खेत में मिला। इस मामले में परिजनों की तहरीर पर नबाबगंज पुलिस ने उमाकांत और मुरारी लाल के खिलफ भारतीय दण्डविधान की धारा 302 ,201 ,376 डी ,आईपीसी 06 पकसो एक्ट एस सी ,एसटी के तहत दर्ज किया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के साथ दरिंदगी किए जाने की पुष्टि हुई थी। उसके नाजूक अंग में लकड़ी मिली थी और गंभीर चोट के निशान थे। कुछ दिन के बाद पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में उन्होंने घटना कुबूल कर ली था।
तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक नरेश कुमार ने मामले की जांच की। इस मामले में 2017 में चार्जशीट लगा दी गई थी, लेकिन अदालत में यह मामला अब तक चलता रहा। इसमें कई बार गवाही का ही पेंच फंसा। तत्कालीन इंस्पेक्टर आर्यन सिंह और सीओ नरेश कुमार को भी तबादला हो चुका था। वहीं दादी व एक अन्य गवाह को डराने की कोशिश हुई। एक अन्य गवाह तो अदालत में अपने बयानों से पलट भी गया था। दूसरे गवाह यानी रामचंद्र को पुलिस ने सुरक्षित रखने का भरोसा दिया तो वह गवाही देने को तैयार हुए।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इंस्पेक्टर गौरव सिंह और डीआइजी राजेश पांडेय को लखनऊ बुलाया था। अभियोजन अधिकारी के साथ बैठकर इस पर चर्चा हुई। तत्कालीन सीओ और इंस्पेक्टर को बयान दर्ज कराने बुलाया गया। गवाह रामचंद्र को सुरक्षा देने का भरोसा दिया था। इसके बाद पीड़िता की मां और रामचंद्र की गवाही के आधार पर दोनों आरोपितों को दोषी पाया गया।
इस मुकदमें की सुनवाई करते हुए पाक्सो स्पेशल जज एडीजे (नवम) सुनील कुमार यादव ने आठ जनवरी को फैसला सुरक्षित कर लिया था। न्यायाधीश श्री यादव ने आज पाक्सो एक्ट की धारा 06 में नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले 32 वर्षीय उमाकांत और 24 वर्षीय मुरारी लाल 24 को मृत्युदण्ड की सजा सुनाई।
इस मुकदमें की पैरवी एडीजीसी रीत राम राजपूत ने की । इस मामले में पीड़ित परिवार और गवाह लगातार चार साल से न्याय पाने के लिए डटे रहे।
सं त्यागी
वार्ता