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प्रयागराज में बैंक पेंशनर कार्ड भेजो अभियान

प्रयागराज,13 जनवरी (वार्ता) बैंक पेशनरों का स्वयंसेवी संगठन, फोरम ऑफ बैंक पेंशनर एक्टिविस्ट्स, ने बैंक के पेंशनर कर्मचारी और अधिकारियों से रिजर्व बैंक पेंशन की तरह अन्य बैंककर्मियोंं की पेंशन भी रिवाइज करने की
मांग का पोस्ट कार्ड प्रधानमंत्री को महीने भर भेजने का आह्वान किया है।
प्रयागराज के फोरम आफ बैंक पेंशनर एक्टिविस्ट्स के राष्ट्रीय संयोजक जे एन शुक्ल ने सोमवार को बताया कि अभियान की शुरुआत 20 दिसम्बर से शुरू हुई थी जो 20 जनवरी तक चलेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने रिजर्व बैंक पेंशनरों की पेंशन रिवाइज कर दिया है, कार्यरत पेंशन पात्र बैंककर्मीं और पेंशनर्स, दोनों, प्रधानमंत्री से मांग करते हैं कि उनकी पेंशन को भी रिजर्व बैंक पेंंशन की तरह रिवाइज किया जाये।
इस अभियान को देश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी यूनियन, ए.आई.बी.इ.ए.,बैंकिंग आंदोलन के पुरोधा, यू.पी.बैंक इम्प्लाइज यूनियन के चेयरमैन तथा बैंक पेंशन समझौते के हस्ताक्षरकर्ता, 93 वर्षीय पी.एन.तिवारी ने भी समर्थन दिया है तथा वह 20 दिसंबर 2019 से हर दूसरे दिन प्रधानमंत्री को पोस्ट कार्ड संदेश भेज रहे हैं। फोरम का दावा है, पेंशन रिवीजन की मांगको लेकर, हर रोज प्रधानमंत्री को हजारों कार्ड भेजे जा रहे हैं।
श्री तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 30 दिसम्बर को अपने भेजे पोस्टकार्ड में अनुरोध किया है,“ मैं एक 93 वर्ष का बैंक पेंशनर हूं। मेरी पेंशन 1986 से बनी है तब से एक बार भी पुरीक्षित नहीं हुई है। मेंरी पेंशन रिजर्व बैंक पेंशन नीति की तरह है। सरकार ने रिजर्व बैंक पेेंशन का पुनरीक्षण कर दिया है। हमारी पेंशन को भी तदनुसार पुनरीक्षित
करने की कृपा करें।”
फोरम के राष्ट्रीय संयोजक जे.एन.शुक्ला ने प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डा. पी.के.मिश्र को पत्र भेज कर उनसे मिलने की आज्ञा, तिथि और समय निश्चित करने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि 29 दिसंबर1993 के पेंशन समझौते में लिखा है कि बैंक पेंशन स्कीम की रिवीजन समेत सभी शर्तें रिजर्व बैंक पेंशन नीति की शर्तों की तरह होंगीं। बैंक पेंशनर पेंशन रिवीजन के लिए 1998 सें आंदोलित रहेंं हैं, लेकिन उनकी पेंशन का पुनरीक्षण नहीं किया गया, जबकि कर्मचारियों एवं अधिकारियों के वेतन 1998, 2002, 2007, 2012 में हुए और 2017 से होने की बातचीत जारी है। फोरम का आरोप है कि बैंक यूनियनें और आईबीए, दोनों, पेंशन रिवीजन की मांग को तुच्छ मनसा और कारणों से नकारती रहीं हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक पेंशनर पिछले दो दशकों से पेंशन रिवीजन के लिए आंदोलित हैं, लेकिन बैंक और उनका संगठन आईबीए, पेंशनरों की कठिनाइयों के प्रति बेफरवाह रहा है। उन्होंने कहा कि जबसे मोदी सरकार आई
है, बैंक पेंशनर्स, पेंशन रिवीजन की मांग तेज करते रहें हैं।
फोरम का कहना है कि सरकार ने चूंकि रिजर्व बैंक पेंशन को एक अप्रैल 2019 से रिवाइज कर दिया है, अत: उनकी पेंशन को भी तदनुसार रिवाइज किया जाये। उन्हाेंने बताया कि 29 अक्टूबर 1993 के समझौते में भी लिखा है कि
पेंशन रिवीजन रिजर्व बैंक की तरह होगा।
दिनेश त्यागी
वार्ता
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