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उत्तर प्रदेश किसान दिखावा दो अंतिम झांसी

उजियान गांव के किसान मंगल सिंह यादव ने बताया कि मूंग ,उड़द और मूंगफली की फसल लगभग एक ही समय तक तैयार हो जाती है इस बार तो मूंग और उड़द की फसल लगभग पूरी ही व्यपारियों को बेचने के बाद प्रशासन ने क्रय केंद्रों के शुरू होने की कवायद शुरू की जिसका किसानों ने बडे पैमाने पर विरोध किया और अब मूंगफली की खरीद के लिए सरकार ने क्रय केंद्रों की शुरूआत कर “ का वर्षा जब फसल सुखानी” कहावत को एक बार फिर चरितार्थ कर दिया है । ऐसा करने से किसानों का भला करने का केवल दिखावा किया जा सकता है जबकि हकीकत में स्थिति और खराब हुई है।
कुंआगांव के शंकर कुशवाहा , बैदौरा गांव के लखनलाल नरवरिया , पच्चरगढ के अरविदं पटेल पच्चरगढ, इमलिया गांव के पप्पू पाल और धवारी गांव के अमर सिंह राजपूत बड़ीसंख्या में मजबूरी में व्यापारियों को फसल बेचने वाले किसानों में से कुछ नाम हैं। इन सभी का एक स्वर में यही कहना है कि पूरी फसल औने पौने दामों में जब व्यापारियों को बेच दी गयी तो किसानों के नाम पर व्यापारियों की फसल खरीदने का यह नाटक किया जा रहा है। हकीकत में यह क्रय केंद्र व्यापारियों की फसल खरीदने के लिए बने हैं वह फसल जो व्यापारी उल्टे सीधे रेट पर किसानों से पहले ही ले चुका है ,उनकी फसलों को खरीदने के यह केंद्र है। किसानों से खरीदी फसल को अब व्यापारी इन केंद्रों पर बेचकर मोटा लाभ लेंगे और किसान एक बार फिर खाली हाथ यह तमाशा देखेगा।
अगर लंबे समय से लगभग सभी दलों की सरकारों के समय कमोबेश यही स्थिति है तो किसान विरोध के स्वर बुलंद क्यों नहीं करते , इस सवाल के जवाब में किसान नेता ने कहा कि आम आदमी सरकार से किस हद तक टकरा सकता है यह बात नहीं है कि किसानों ने इसका विरोध नहीं किया । हमने हर सरकार के समय अपनी बात जनप्रतिनिधियों को बतायी और समझायी लेकिन सभी अपने फायदे के हिसाब से किसानों का इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने बताया कि इसी कारण किसानों ने राजनीति के अखाडे में उतरने का फैसला किया और किसान रक्षा पार्टी का गठन किया गया। यह कदम उठाने के पीछे कारण यही रहा कि किसी अन्य दल के भ्रष्ट नेता को विधायक बनाकर फिर अपना काम कराने के लिए रात दिन उसके घर के चक्कर काटने से अच्छा है कि किसान खुद अपनी समस्या लेकर विभिन्न राज्यों के विधानमंडल में पहुंचे और पूरे देश को बताये कि किसान के नाम पर योजनाएं बनाकर किस तरह से आजादी के बाद से लगातार उन्हें छला जा रहा है और इसी का नतीजा कि देश में सबका कुछ न कुछ विकास हुआ लेकिन किसान आज भी अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान और मौसम की कृपा पर निर्भर है।
सोनिया
वार्ता
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