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गैर प्रांत से आने वालों की देखरेख की जिम्मेदारी आशा बहुओं की

हमीरपुर 02 अप्रैल (वार्ता) उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में लाक डाउन के चलते बाहर से आने वाले लोगों के परीक्षण और दवा देने की जिम्मेदारी आशा बहुओ के कंधों पर डाल दी गयी है।
इसके लिये आशा बहुओ को गुरूवार एक दिवसीय प्रशिक्षण ब्लाको और जिला मुख्यालय में दिया गया है जिसके बाद वे प्राथमिक उपचार कर सकेगी।
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा. आरके सचान ने बताया कि गैर प्रांतो से आने वाले लोगों की जांच के लिये डाक्टरों की टीम बनाने व उनको दवा देने संबंधी तमाम झंझटोें से बचने के लिये शासन ने आशा बहुओ को यह जिम्मेदारी सौपी है। जो भी स्त्री व पुरुष वाहर से आयेगा या गांव का कोई व्यक्ति को बुखार या जुकाम है तो उसको नाम पता लिखकर उसको प्रथम उपचार करते हुये आशा बहू उसे दवा देगी और तीन या चार दिन बाद उसको फिर से परीक्षण करने जायेगी।
यदि कोई गंभीर मामला समझ मे आता है तो उसकी सूचना तहसील स्तर पर प्रभारी चिकित्साधिकारी को देगी और इसके बाद डाक्टरों की टीम उसका परीक्षण करेगी इसके बाद यदि केश पाजिटिव पाया जाता है तो उसका सैम्पिल लेकर प्रयोगशाला लखनऊ में जांच कराया जायेगा।
सीएमओ ने बताया कि जिले में वैसे भी चिकित्साधिकारियों की कमी है। इसके लिये यह व्यवस्था बहुत कारगर साबित होगी। जिले में करीब नौ सौ आशा बहुए है जिसमें आज सभी को ट्रेनिंग दे दी गयी है। जो सभी अपने ही गांव में रहकर कोरोना वायरस से संबंधित काम देखेगी। जिले में करीब छह हजार से अधिक लोग गैर प्रांतो से आकर गांवो में रह रहे है कुछ आश्रय स्थल में रह रहे है अब इनकी देखरेख की जिम्मेदारी आशा बहुओ पर छोड़ दी गयी है। इसके लिये उनको अलग से पारिश्रमिक दिया जायेगा। सभी आशा बहुओ को प्राथमिक उपचार के लिये दवाएं दे दी गयी है।
सं प्रदीप
वार्ता
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