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नौ मिनट में 31000 मेगावॉट का झटका लगा था ग्रिड काे

लखनऊ 06 अप्रैल (वार्ता) समूचा देश रविवार को रात नौ बजे जब कोरोना के खिलाफ जंग में एकजुटता का प्रदर्शन करने के लिये घरों की बत्तियां बुझा कर मोमबत्ती लिये छतों और बालकानी में खड़ा था, उस समय ग्रिड को बचाने के लिये बिजली इंजीनियरों की टीम तकनीकी इम्तिहान में सफल होने के लिये पूरे नौ मिनटों तक फ्रिक्वेंसी प्वाइंटर पर नजर गड़ाये रही।
ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के सचिव शैलेन्द्र दुबे ने सोमवार को यह खुलासा करते हुये कहा कि नौ मिनट की लाइट बन्दी के दौरान बिजली ग्रिड में 31000 मेगावॉट से अधिक का जर्क लगा था। रात नौ बजे के पहले कुल लोड 116887 मेगावॉट था जो नौ बजकर 10 मिनट पर घटकर 85799 मेगावॉट रह गया था। इस प्रकार केवल नौ मिनट में 31089 मेगावॉट लोड क्रैश हुआ जो लगभग 27 प्रतिशत था और अनुमान से ढाई गुना अधिक था।
ग्रिड की फ्रीक्वेंसी रात 08.49 बजे 49.7 थी जो रात 09. 08 बजे बढ़ कर 50.259 हो गई | बिजली इंजीनियरों ने इतने जबरदस्त उतार चढ़ाव के बावजूद ग्रिड को डिस्टर्ब नहीं होने दिया। उत्तरी ग्रिड में 9730 मेगावॉट लोड क्रैश हुआ जिसमे अकेले उत्तर प्रदेश में 4384 मेगावॉट का लोड क्रैश हुआ। राज्य में 13486 मेगावॉट से घटकर 9102 मेगावॉट लोड रह गया था।
उन्होंने बताया कि देश भर में इतने बड़े पैमाने पर मात्र नौ मिनट में लोड के इतने बड़े बदलाव को नियंत्रित करने के लिए हाइड्रो से लगभग 20000 मेगावॉट और थर्मल से लगभग 10000 मेगावॉट लोड पहले घटाया फिर बढ़ाया गया | रात 10 बजे लोड पुनः 114400 मेगावॉट हो गया और लोगों को पूरी बिजली मिलने लगी |
श्री दुबे ने बिजली ग्रिड में लोड के इतने बड़े बदलाव को अभूतपूर्व बताया है।
प्रदीप
वार्ता
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