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पीएफ घोटाले मामले में द्विवेदी और चावला की जमानत अर्जियां खारिज

लखनऊ 07 अप्रैल(वार्ता)इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्ड पीठ ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के करोड़ों रुपए के पीएफ घोटाला मामले के दो आरोपियों पूर्व वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी एवं विकास चावला की जमानत अर्जियां खारिज कर दीं है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने यह आदेश अपने आवास पर सुनाया। दोनों आरोपियों की तरफ से करोडों के गबन, जालसाजी आदि के आरोपों वाले इस मामले में अलग- अलग जमानत अर्जियां दाखिल कर जमानत पर रिहा किये जाने की माँग की गयी थी। न्यायालय ने पहले इनपर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था।
अभियोजन के अनुसार सुधांशु, जून 2016 से जून 2019 के बीच यू पी पी सी एल के वित्त निदेशक रहे थे और विकास चावला के खिलाफ मुंबई की दीवान हाऊसिंग फ़ाईनेंस लिमिटेड (डी एच एफ एल) कम्पनी से इस मामले में 5.69 करोड़ की दलाली लेने का आरोप था। दो नवंबर 2019 को इस मामले की प्राथमिकी यू पी पी सी एल ट्रस्ट के पूर्व सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता और सुधांशु द्विवेदी के खिलाफ हजरतगंज थाने में दर्ज करायी गयी थी। विकास चावला का नाम मामले की तफ्तीश के दौरान प्रकाश में आया था।
जमानत अर्जियों का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता शाही की दलील थी कि भारी कमीशन लेने की नीयत से, यू पी पी सी एल के 42000 कर्मचारियों की भविष्य निधि के करोडों रुपये का निवेश आरोपियों ने मिलीभगत करके व संबंधित नियम - कानून को दरकिनार कर डी एच एफ एल में किया। ऐसे में अपराध की गम्भीरता के मद्देनजर उनकी जमानत अर्जी खारिज किये जाने लायक है। उधर आरोपियों की तरफ से इस मामले में झूंठा फंसाए जाने का तर्क देकर जमानत पर रिहा किये जाने का आग्रह किया गया, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया।
सं भंडारी
वार्ता
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