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वेबीनार बन सकता है पारंपरिक शिक्षण व्यवस्था में सहायक:प्रो़ वैषम्पायन

झांसी 08 मई (वार्ता) उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ वैषम्पायन ने ऑनलाइन तंत्र “ वेबीनार ” को वर्तमान परिदृश्य में शैक्षणिक गतिविधियाें की निरंतरता के लिए एक आवश्यक अंग बताया है।
विश्वविद्यालय परिसर के पर्यटन और होटल प्रबन्धन संस्थान तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के काॅलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज के पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को आयोजित ‘कोविड-19 के बाद अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के लिए आशा और क्षितिज’ विषय दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के समापन समारोह में ऑनलाइन श्रोताओ को सम्बोधित करते हुए कुलपति ने कहा “ हम जानते हैं कि दुनिया भर में कोरोना महामारी के प्रकोप ने अकादमिक समुदाय को अत्यधिक परेशान किया है और समस्त शैक्षणिक गतिविधियों को छिन्न भिन्न कर डाला है यह वास्तव में शैक्षणिक जगत के लिए एक झटका है। भारत में ही लगभग एक हजार विश्वविद्यालय तथा चार हजार से अधिक काॅलेज तथा शैक्षणिक संस्थान अस्थायी रूप से बंद हैं तथा सम्पूर्ण शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित है। निस्संदेह, कोविड-19 के कारण यह क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित है। व्यापार और विषेश रूप से पर्यटन के पुनरुद्धार और अस्तित्व के लिए प्रभावी रणनीतियों की आवश्यकता होगी।”
इस अवसर पर कुलपति प्रो.वैषम्पायन ने कुछ पेनलिस्ट के पहले से रिकाॅर्ड किए गए वीडियो को भी जारी किया। आज के पेनलिस्ट तथा प्रमुख वक्ताओं में एम.डी.यू. के प्रो.आर.सी.दाहिया, जार्ज सिफलिस की प्रो.ममता शर्मा, प्रो.शैरी, प्रो.जूलिया अलबर्ट, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. राकेश पाण्डेय, नेपाल विश्वविद्यालय के प्रो.अरहानू स्तापित, जयपुर रााजस्थान के प्रमुख टूर आपरेटर भवानी सिंह सहित पयर्टन जगत की कई हस्तियां सम्मिलित रही। इ स अवसर पर विभिन्न देशों के पेनलिस्ट ने अपने-अपने देशों में काविड-19 के विरूद्ध अपनाई गई रणनीतियों के बारे में चर्चा की तथा इसके कारण अर्थव्यवस्था तथा विशेष रूप से पर्यटन उद्योग को होने वाले नुकसानों के बारे मे प्रतिभागियों को बताया।
अपने अपने व्याख्यानों में सभी वक्ताओं का मत था कि कोविड-19 के पूरी तरह उन्मूलन में काफी समय लगेगा तथा उसके बाद भी निकट भविष्य में अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन की काफी समय तक सम्भावनाएं नगण्य ही हैं। यद्यपि क्षेत्रीय तथा स्थानीय पर्यटन को आवश्यक बढावा मिलेगा। पर्यटक दूसरे देशों में जाने से परहेज करेंगे। भविष्य का पर्यटन वर्चुअल टूरिज्म या साईबर टूरिज्म के प्रकार का होने की सम्भानाओं से इंकार नही किया जा सकता है।

पेनलिस्ट का मत था कि कई सारे पर्यटक स्थलों की व्यवस्था जोकि पर्यटको की अत्याधिक संख्या के कारण ठीक नही रहती थी, कोविड-19 के कारण मिले लाॅकडाऊन के कारण उन स्थलों की व्यवस्था पहले से भी अधिक बेहतर हो जायेगी। पर्यटन के छात्रों के लिए पेनलिस्ट की सलाह थी कि यद्यपि कोविउ-19 की समाप्ति की तुरन्त बाद भी पर्यटन उद्योग में प्रचुर संख्या में रोजगार की सम्भावनाएं काफी कम हैं परन्तु उन्हे निराश नही होना चाहिये अपने समय का सदुपयोग किसी विदेशी भाषा को सीखने तथा विभिन्न पर्यटक स्थलों के बारे में जानकारी जुटाने में तथा अपने ज्ञान को बढाने में करना चाहिये।
कुलपति ने सभी पैनल सदस्यों को धन्यवाद देते हुए कहा कि आपने अपनी अमूल्य अन्तर्दृष्टि, समृद्ध अनुभव और ज्ञान को साझा कर दिये गये ,व्याख्यान पर्यटन के विद्यार्थियों को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भविष्य के पर्यटन हेतु योजनायें एवं नई रणनीति बनाने में सहायक सिद्ध होगें। उन्होंने भविष्य में इस तरह के अन्य उपयोगी वेबिनार आयोजन हेतु योजना बनाने को कहा।
सोनिया
वार्ता
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