राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: May 27 2020 11:08AM राजनीति प्रवासी मजदूर दो अंतिम लखनऊमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी प्रवासी मजदूरों का राशनकार्ड बनाने और उनके लिये रोजगार आयोग के गठन की घोषणा कर सभी राजनीतिक दलों को आश्चर्य में डाल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कामगारों को उनके हुनर के मुताबिक ही राज्य में काम दिया जायेगा और मानदेय दिलाया जायेगा। आयोग के माध्यम से श्रमिकों की सामाजिक भागेदारी भी सुनिश्चित की जायेगी। प्रवासी मजदूरों के हुनर के अनुसार उनकी पहचान का काम राजस्व विभाग ने शुरू भी कर दिया है। आयोग की खास बात यह कि राज्य के मजदूरों को ले जाने वाले दूसरे राज्यों को अब इसके लिये उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी होगी। मुख्यमंत्री का कहना है कि जिस तरह राज्य के मजदूरों के साथ दिल्ली, मुम्बई समेत अन्य राज्यों मे व्यवहार किया गया उसी को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री ने खास कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा और कहा कि महाराष्ट्र सरकार उत्तर प्रदेश के मजदूरों के साथ अगर सौतेली मां जैसा भी व्यवहार करती तो सभी को रोक सकती थी लेकिन उसने कुछ भी नहीं किया। राजस्व विभाग के अनुसार अभी तक करीब तीन लाख मजदूरों की उनके हुनर के आधार पर पहचान हुई है। उनकी सूची कौशल विकास मिशन को सौंपी जायेगी और उन्हें रोजगार दिलाया जायेगा। राज्य मे आये सभी प्रवासी मजदूरों के हुनर की पहचान का काम 15 दिन मे पूरा करने का आदेश दिया गया है। राजनीति के जानकार इसे दूसरे चश्मे से भी देख रहे हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी मजदूरों का इस तरह साथ देकर बडे वोट प्रतिशत को अपने पक्ष मे कर लिया है। मजदूर अभी जिस मानसिक हालात से गुजर रहे हैं, उससे नहीं लगता कि कम से कम एक साल वो उन राज्यों का रूख करेंगे जहां वो पहले काम किया करते थे। यदि सभी मजदूरों को कुछ कम मजदूरी पर भी काम मिल जाता है तो वो उत्तर प्रदेश को छोड़ कर नहीं जायेंगे और ऐसी हालात में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों को मजदूरों के लिए उत्तर प्रदेश पर निर्भर रहना होगा ।विनोद भंडारीवार्ता