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बारिश से पहले जलस्रोतों की मरम्मत में लगे प्रवासी श्रमिक

झांसी 07 जून (वार्ता) प्रदेश सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की रोजगार और बुंदेलखंड में पानी की समस्या से निपटने के लिए इस अतिरिक्त श्रम को अपने क्षेत्र के ही पुराने जल स्रोतों की मरम्मत से लेकर नये तालाब और बंधियों के निमार्ण का काम में लगाये जाने की प्रभावी नीति तैयार की है और यह काम शुरू भी हो चुका है।
कोरोना कहर के चलते अपने गांवों में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के जीवन को संवारने के लिए प्रदेश सरकार ने जो ब्लू प्रिंट तैयार किया है उसके तहत उनके अतिरिक्त श्रम का इस्तेमाल उनके ही गांवों में पानी की समस्या दूर करने के लिए करना शुरू हाे गया है। झांसी जिले में बबीना विकासखण्ड के कई गांवों में लौटे मजदूर अपने कार्यों पर लग भी गए हैं, इससे जल संरक्षण के साथ ही प्रवासी मजदूरों को काम भी मिल रहा है। बबीना ब्लाॅक के गांव सरवां, सिमरिया, मानुपर, गुवावली, खजुराहा खुर्द में यह काम प्रभावी तरीके से प्रशासन द्वारा शुरू कराया जा चुका है।
बरसात शुरू होने से पहले बड़ी संख्या श्रमिक अपने गांवों को लौटे हैं और प्रशासन इनके श्रम का इस्तेमाल कर जल संरक्षण के काम में कर रहा है। जलसंरक्षण के लिए तालाब गहरीकरण, छोटे छोटे जल स्त्रोत व पहाड़ियों पर टेंच, नालों पर अभी से पानी को रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं। भविष्य इस क्षेत्र में भरपूर खेती के लिए और पीने के पानी के लिए होने वाली हाहाकार जैसे बड़ी समस्याओं से निपटने के लिए बरसाती पारी का संग्रहण आवश्यक है। अगर यह काम प्रभावी तरीके से किया जाता है तो इस क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह से बदल सकती है।
वर्ल्ड वाॅटर काउंसिल और कैग के सदस्य डा.संजय सिंह ने बताया कि जिस तरह से सरकार ने प्रवासी मजदूरों के द्वारा जल संरक्षण करने के लिए जल स्रोतों की मरम्मत और तालाब तथा बंधी आदि के निर्माण का कार्य शुरु कराया है, यदि बुन्देलखंड में यह कार्य ठीक तरह से चलता रहा तो निश्चित ही जल संकट से निजात पाने में यह सहायक सिद्ध होगा ।
बरसात के पानी को जमा करने के लिए बाहर से लौटे प्रवासी और गांव की पानी पंचायत समितियों एवं जल सहेलियों ने संकल्प लिया है कि अगर अभी से तालाबों का गहरीकरण और जल भराव क्षमता को और बढ़ाने के लिए छोटी-छोटी जल संरचनाओं का गहरीकरण कर श्रमदान कार्य जारी है। श्रमिकों ने यह सोच लिया है कि यदि ऐसे हालात में बाहर तो मजदूरी के लिए जा नहीं पाएंगे। अगर अभी से जल संरक्षण का काम करें तो बरसात का पानी इकत्र करके खेती कर सकेगे, जिससे बच्चों का पालन पोषण हो सकेगा व पलायन के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी इसलिए जल संरक्षण के कार्य को महत्व देते हुए प्रवासी मजदूर पानी पंचायत समितियां सभी मिलकर जल संरक्षण श्रमदान में लगे हुए हैं।
सरवां गांव की जल सहेली पिस्ता पाल ने बताया कि उनके गांव में 50 लोगों ने श्रमदान का कार्य किया है। सिमरिया गांव में श्रमदान कर रहे महाराज सिंह सहरिया ने बताया कि बरसात से पहले अपने गांव की जल संरचना को पुर्नजीवित करने का वह प्रयास कर रहे जिसमें पूरे गांव को सहयोग उन्हे प्राप्त हो रहा है, जिससे बाद में जल संरक्षण कर जल संकट से बचा जा सकेगा। सरवां गांव की रेखा सहरिया ने बताया कि पहले शहर जाकर कैसे भी कर आजीविका चला लेते थे लेकिन अब कोरोना काल में गांव में ही रहना होगा, जिसके लिए गांव में ही आजीविका का विकास करने के लिए तालाब की सिल्ट सफाई कर रही है ताकि उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध रहे। दूसरी ओर गरीब लोगों को परमार्थ समाज सेवी संस्थान और जल जन जोड़ो अभियान के द्वारा भी इस कार्य के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह कार्य जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.संजय सिंह के निर्देशन में किया जा रहा है जिसमें क्षेत्रीय कार्यकर्ता राजेश कुमार जिला समन्वयक व युवा समाजसेवी सुदामा गुप्ता लगातार मेहनत कर जल संरक्षण के कार्य को देख रहे हैं। परमार्थ के जितेन्द्र यादव के द्वारा बताया कि श्रमदानियों को प्रोत्साहन देने के लिए खाद्य सामग्री वितरित की जा रही है।
सोनिया
वार्ता
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