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पीक्यूआरएस मशीन से रेल पटरियाें के बदलने का कार्य शुरू

बस्ती 16 जून (वार्ता) पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन रेल पटरियों को बदलने के लिये आधुनिक “पी.क्यू.आर.एस.’’ मशीन का उपयोग कर रहा है।
पूर्वोत्तर रेलवे सूत्राें ने मंगलवार को बताया है कि ’’पी.क्यू.आर.एस.’’ मशीन भारतीय रेलवे के लिये बहुत ही उपयोगी है। यह मशीन आकार में छोटी है जिससे इसके रख-रखाव में खर्च कम होता है। इसका उपयोग रेलवे ट्रैक के निर्माण एवं पुराने रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण में किया जाता है। इस मशीन से रेल पटरियों को अपेक्षाकृत बहुत कम समय में बदला जा रहा है। सुरक्षित रेल सफर के लिये यह मशीन बहुत उपयोगी हो रही है।
उन्होने बताया कि ’’पी.क्यू.आर.एस.’’ मशीनें हमेशा सेट में एक साथ कार्य करती हैं। इसके द्वारा वर्किग साइट से पुराने रेल एवं पैनल को पूरी तरह बेस पर वापस लेकर आया जा सकता है जिससे अतिरिक्त माल ढुलाई का कार्य नहीं करना पड़ता है। यह मशीन नौ से 12 टन तक वजन उठाने में सक्षम है। वर्किंग साइट पर इसको चलने के लिये पुरानी रेल के अगल-बगल आग्जेलरी ट्रैक का निर्माण किया जाता है जिस पर यह मशीन नये पैनल को लाकर पुराने पैनल की जगह बिछा देती है।
सूत्रों ने बताया कि इस मशीन का उपयोग गोरखपुर-पनियहवाॅ (सिसवा-घुघली) खंड में पुराने 52 किग्रा. वजन के स्लीपर के नवीनीकरण में किया जा रहा है। इस कार्य के अन्तर्गत 52 किग्रा. स्लीपर के स्थान पर 60 किग्रा.का स्लीपर लगाना है। इससे न सिर्फ संरक्षा सुदृढ़ होगी बल्कि आने वाले समय में स्पीड भी बढायी जा सकेगी। अभी तक इस खंड में ’’पी.क्यू.आर. एस.’’ मशीन द्वारा 12.5 किलोमीटर कार्य किया गया है। इस लाइन पर ट्रेनों के आवागमन के कारण कार्य केवल ट्रैफिक ब्लाॅक में ही हो पाता है। ऐसे में मशीन द्वारा कम समय में ज्यादा एवं गुणवत्तापूर्ण कार्य हो पाता है। कंक्रीट स्लीपर का वजन ज्यादा होने के कारण मैनुअली कार्य कर पाने में बहुत समय लग जाता है जबकि इस मशीन द्वारा चार घंटे के ब्लाॅक में ही आधा किलोमीटर का कार्य कर लिया जाता है।
सं दिनेश प्रदीप
वार्ता
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