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न्यायालय दूसरी लीड विवादित ढांचा फैसला दो लखनऊ

न्यायाधीश ने कहा कि कार सेवकों की मस्जिद को ढहाने में कोई भूमिका नहीं मिली है। कारसेवक एक हाथ में पानी का बोतल और एक हाथ में पुष्पगुच्छ पकड़े थे। अदालत ने सीबीआई द्वारा पेश किये गये वीडियो को स्वीकार नहीं किया। इस बारे में बचाव पक्ष के वकील मनीष त्रिपाठी की दलील थी कि और कहा कि वीडियो में छेड़छाड़ की गयी है।
जज ने सीबीआई द्वारा पेश किये गये फोटोग्राफ को भी सही नहीं माना क्योंकि इसके मूल निगेटिव जांच एजेंसी प्रस्तुत नहीं कर सकी थी। न्यायाधीश बचाव पक्ष की उस दलील से भी सहमत थे कि सीबीआई ने बचाव अधिनियम के मानकों का पालन नहीं किया।
श्री त्रिपाठी ने फैसले के बाद पत्रकारों को बताया कि अदालत ने माना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद की बाबरी ढांचे को गिराने में कोई भूमिका नहीं थी। यह सब किया धरा शरारती तत्वों का था।
दो आरोपिताे के मामले की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने कहा कि अदालत ने सीबीआई द्वारा प्रस्तुत सभी साक्ष्यों को खारिज कर दिया है और साक्ष्यों के अभाव में सभी को बरी कर दिया।
विशेष न्यायाधीश ने कहा कि एक भी आरोपी के खिलाफ भीड़ को उकसाने संबधी साक्ष्य नहीं है। सीबीआई ने मामले में कुल 49 आरोपियों के खिलाफ 350 सबूत पेश किये जिसे सीआपीसी की धारा 351 के तहत सिरे से खारिज कर दिया गया।
फैसले के बाद अदालत परिसर में मौजूद तीन वर्तमान सांसदों समेत सभी आरोपियों ने जय श्रीराम के नारे लगाये और एक दूसरे को बधाई दी। इस दौरान समूचा अदालत परिसर जय श्रीराम के नारों से गूंजता रहा।
प्रदीप
जारी वार्ता
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