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को-ऑपरेटिव बैंक में हुई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के आरोपियों पर होगा मुकदमा

लखनऊ, 23 अक्टूबर (वार्ता) समाजवादी पार्टी (सपा) के शासनकाल में उत्तर प्रदेश के सहकारिता विभाग में हुई नियुक्तियों के मामले में एसआईटी रिपोर्ट को स्वीकार करते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को ट्वीट कर इस कार्रवाई की जानकारी दी है। आदेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक (सामान्य) एवं सहायक प्रबंधक (कम्प्यूटर) की वर्ष 2015-16 तथा प्रबंधक व सहायक/कैशियर पद पर 2016-17 में की गई भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोपों में यूपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड तथा उप्र सहकारी संस्थागत सेवामंडल की तत्कालीन प्रबंध समिति के अधिकारियों कर्मचारियों समेत सात आरोपियों के विरुद्ध मामला पंजीकृत किया जाना है।
एसआईटी जांच में उ.प्र. को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के तत्कालीन 02 प्रबंध निदेशकों, हीरालाल यादव व रविकांत सिंह, उ.प्र. सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश मिश्र, सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव के साथ-साथ संबंधित भर्ती कम्प्यूटर एजेंसी मे. एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ के अलावा उ.प्र. को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड और उ.प्र. सहकारी संस्थागत सेवामंडल, की प्रबंध समिति के अन्य अधिकारियों व कर्मचरियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468, 471 तथा 120 बी के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किये जाने की अनुशंसा की गई थी, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने उप्र राज्य भंडारण निगम में वर्ष 2013 व उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड में वर्ष 2015-16 में हुई भर्तियों के संबंध में प्रचलित एसआईटी जांच एक माह के भीतर पूरी कर जांच आख्या उपलब्ध कराने के भी आदेश दिए हैं।
श्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में नौकरी का एकमात्र मानक मेरिट है। पूरी शुचिता और पारदर्शिता के साथ योग्य उम्मीदवार को ही नौकरी मिलेगी। इसमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। बावजूद इसके नियुक्तियों में भ्रष्टाचार हुआ तो दोषियों को जेल में ही ठिकाना मिलेगा।
प्रदीप
वार्ता
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