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गन्ना पट्टी संकट में,घट रही है गन्ने की पैदावार

सहारनपुर, 20 नवम्बर (वार्ता) पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना पट्टी में गन्ने की पैदावार घटने और लागत में बढोत्तरी किसानों के लिये संकट का कारण बनी हुयी है।
कृषि विभाग के अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि गन्ना पट्टी में पिछले साल की तुलना में इस बार गन्ना उत्पादन में काफी गिरावट दर्ज की गई है। सहारनपुर में इस बार प्रति बीगाह केवल 48 से 56 क्विंटल पैदावार हुई जबकि पिछली बार 60 से 70 क्विंटल प्रति बीगाह थी।
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मुजफ्फरनगर में 55 से 60 क्विंटल प्रति बीगाह गन्ना पैदावार हुई जबकि पिछले वर्ष यह औसत 75 से 80 क्विंटल प्रति बीगाह था। सहारनपुर मंडल के शामली जिले में इस बार गन्ने की पैदावार 55 से 60 क्विंटल प्रति बीगाह हुई है। पिछले वर्ष यह औसतन 65 से 70 थी। मेरठ में इस बार 70 से 71 है। पिछली बार 74 से 75 थी। बागपत में अबकी 60 से 70 रही पिछली बार 70 से 80 थी। बिजनौर में अबकी गन्ने की पैदावार 55 से 59 क्विंटल प्रति बीगाह रही जबकि पिछली बार 65 से 69 रही।
गन्ना शोध संस्थान मुजफ्फरनगर के निदेशक वीरेश कुमार ने बताया कि गन्ने की पैदावार में इस वर्ष 15 फीसदी की गिरावट आई है और पूरे सत्र में गिरावट 10 फीसदी तक आने का अनुमान है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक कुछ कारणों से गन्ने की पैदावार कम हुई है। एक. पिछला गन्ने की पेराई का सत्र लंबा चला जिससे गन्ने की पेडी को वृद्धि करने में कम समय मिला। शुरू में बारिश का ज्यादा होना और बाद में बारिश का कम होना भी कम पैदावार का कारण बना।
सहारनपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा आईके कुशवाहा ने कहा कि भूमि में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा कम हो गई है जिससे गन्ने का उत्पादन घट रहा है। उनका गन्ना किसानों को सुझाव था कि गन्ना उत्पादन बढ़ाने के लिए वे खेतों में गोबर कम्पोस्ट और हरी खाद का प्रयोग करें। आर्गेनिक कार्बन की मात्रा मिट्टी में बढ़ाई जाने से अच्छी पैदावार होगी।
सहारनपुर जिले में गन्ने का क्षेत्रफल 1 लाख 6 हजार बीगाह है। पिछले साल सहारनपुर जिले में 774 लाख क्विंटल गन्ना पैदा हुआ था। इस बार पैदावार में भारी गिरावट सामने आ रही है। दिलचस्प बात यह है कि सहारनपुर के चिलकाना क्षेत्र के गांव डासावाला निवासी गन्ना उत्पादक किसान सुभाष वालिया को प्रदेश में प्रति बीगाह 155 क्विंटल गन्ने की पैदावार लेने पर प्रथम पुरस्कार मिला था जबकि जिले के दूसरे गन्ना किसान सुभाष वालिया की तुलना में कहीं भी नहीं टिक पा रहे हैं। इस वर्ष गन्ने की लागत में 10 रूपए प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है।
गन्ना शोध संस्थान मुजफ्फरनगर के निदेशक वीरेश कुमार ने बताया कि गन्ने की पैदावार पर 297 रूपए 58 पैसे प्रति क्विंटल व्यय आया है। पिछले वर्ष यह 287 रूपए प्रति क्विंटल था। गन्ना किसानो के परेशानी का एक सबब यह भी है कि पिछले पेराई सत्र का ही करोड़ों रूपया चीनी मिलों की ओर बकाया है। ऐसी स्थिति में गन्ना किसानों को राहत देने के लिए गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान कराया जाना आवश्यक है और इस बार राज्य सरकार जो समर्थन मूल्य तय करती है उसे गन्ना किसानों को लाभकारी मूल्य देने का प्रयास करना चाहिए। तभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश चीनी का कटोरा माने जाने वाली गन्ना बेल्ट में अपना स्थान सुरक्षित रख पाएगा।
सं प्रदीप
वार्ता
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