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योग ही जीवन पुस्तक अब रशियन भाषा में भी

सहारनपुर 12 जनवरी (वार्ता) दुनिया के सबसे बड़े साम्यवादी देश रूस ने भी भारतीय योग के महत्व को स्वीकारते हुए अपने नागरिकों के लिए विख्यात योगाचार्य डा वरूणवीर की पुस्तक ‘‘योगा ही जीवन’’ का रशियन भाषा में अनुवाद कर प्रकाशित करने का काम किया हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भ्रमण पर निकले डा वरूणवीर ने मंगलवार को यूनीवार्ता को बताया कि रूस के मास्को स्थित ‘‘इंस्टीट्यूट आफ ओरियंटल स्टडीज आफ रशियन एकडमिक आफ साईंसिस’’ ने योग विषय पर लेक्चर के लिए उन्हे आमंत्रित किया था। उस दौरान बड़ी संख्या में वहां के प्रबुद्ध नागरिकों ने ध्यान और योग में गहरी रूचि दिखाई थी और उसके महत्व को स्वीकार करते हुए उनसे उनकी हिंदी और अंग्रेजी में लिखी पुस्तक योग ही जीवन का रूसी भाषा में अनुवाद कर प्रकाशित करने की अनुमति चाही थी। उन्हें खुशी है कि एक साम्यवादी देश होते हुए भी वहां के नागरिकों में भारतीय ध्यान और योग एवं दर्शन के प्रति गहरा आकर्षण और लगाव है।
यूरोप,अमेरिका और चीन समेत करीब दो दर्जन देशों में डा वरूणवीर ध्यान और योग एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा और योगिक क्रियाओं के जरिए स्वस्थ रहने के तरीकों को बताने और सिखाने का काम कर चुके हैं। नई दिल्ली निवासी
डा वरूणवीर का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय ध्यान योग दर्शन और आध्यात्म को पूरे विश्व में फैलाने का काम किया है। उसका असर पूरी दुनिया पर दिखाई देता हैं और भारत के योग शिक्षकों और योगाचार्यों की दुनिया में पूछ और हैसियत दोनों बढ़ी है।
उन्होने बताया कि बहुत जल्द रूसी भाषा में प्रकाशित उनकी योग पुस्तक का विमोचन नई दिल्ली में किया जाएगा। जिसमें भारत में रूस के राजदूत समेत मास्को के रूसी विद्वान और पुस्तक के अनुवादक और प्रकाशक भी मौजूद रहेंगे।
सं प्रदीप
वार्ता
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