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काकोरी कांड में सक्रिय भूमिका निभाने वाले मन्मथ नाथ गुप्त का जन्मदिन जौनपुर में मना

जौनपुर 07 फरवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश में जौनपुर के सरावा गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्ता स्मारक पर रविवार को हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी एवं लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने काकोरी कांड में सक्रिय भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी मन्मथ नाथ गुप्त का 113 वा जन्मदिन मनाया ।
कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर मोमबत्ती व अगरबत्ती जला कर दो मिनट का मौन रखा ।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए लक्ष्मीबाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि महान क्रांतिकारी और लेखक मन्मथ नाथ गुप्त का जन्म सात फरवरी 1908 को वाराणसी में हुआ था। इनके पिता वीरेश्वर नेपाल के बिराटनगर के एक स्कूल में हेडमास्टर थे। इसलिए इनकी प्रारंभिक शिक्षा वही नेपाल में हुई । वाराणसी लौटने के बाद 1921 में ब्रिटेन के युवराज के बहिष्कार का नोटिस बांटते हुए गिरफ्तार हुए और 3 महीने की सजा हुई।
जेल से छूटने पर काशी विद्यापीठ से विशारद ( डी लिट् ) की डिग्री ली । 1925 के काकोरी कांड में सक्रिय भूमिका निभाई जिसमें 14 वर्ष की सजा हुई। श्री गुप्त ने 80 से ज्यादा किताबें लिखी । 26 अक्टूबर 2000 को इनका निधन हो गया ।
सं विनोद
वार्ता
जौनपुर में काकोरी कांड में सक्रिय भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी मन्मथ नाथ गुप्त का जन्मदिन मनाया गया
जौनपुर, 07 फरवरी । जौनपुर जिले के सरावा गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्ता स्मारक पर रविवार को हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी एवं लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने काकोरी कांड में सक्रिय भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी मन्मथ नाथ गुप्त का 113 वा जन्मदिन मनाया ।
इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर मोमबत्ती व अगरबत्ती जला कर दो मिनट का मौन रखा ।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए लक्ष्मीबाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर एडवोकेट ने कहा कि महान क्रांतिकारी और लेखक मन्मथ नाथ गुप्त का जन्म सात फरवरी 1908 को वाराणसी में हुआ था, इनके पिता वीरेश्वर बिराटनगर ( नेपाल ) के एक स्कूल में हेडमास्टर थे , इसलिए इनकी प्रारंभिक शिक्षा वही नेपाल में हुई । वाराणसी लौटने के बाद 1921 में ब्रिटेन के युवराज के बहिष्कार का नोटिस बांटते हुए गिरफ्तार हुए और 3 महीने की सजा हुई , जेल से छूटने पर काशी विद्यापीठ से विशारद ( डी लिट् ) की डिग्री ली । 1925 के काकोरी कांड में सक्रिय भूमिका निभाई , जिसके लिए 14 वर्ष की सजा हुई , श्री गुप्त ने 80 से ज्यादा किताबें लिखी । 26 अक्टूबर 2000 को इनका निधन हो गया ।
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