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झांसी: सेमीनार में वैज्ञानिकों ने दी खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में संभावनाओं की जानकारी

झांसी 28 फरवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश के झांसी में बुंदेलखंड चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और महारानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय के तत्वाधान में चल रही बुंदेलखंड एग्रोसमिट के अंतिम दिन रविवार को देश भर से आये वैज्ञानिकों ने खाद्य प्रसंस्करण उद्यागों में संभावनाओं के बारे में जानकारी दी।
यहां पं0 दीनदयाल उपाध्याय सभागार में समिट के समापन समारोह की अध्यक्षता कुलपति, महारानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय झॉसी के प्रोफेसर अरविंद कुमार ने की । चैम्बर महासचिव धीरज खुल्लर, डा0 ए.आर. शर्मा, डा0 ए.के. पान्डे आदि सम्मिलित हुए। सभागार मे विभिन्न क्षेत्रो से आए विशेषज्ञो/चैम्बर के पदाधिकारीगणो एंव सदस्यगणो के साथ कास्तकारो, कृषि विश्वविद्यालय, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज तथा भारतीय चारागाह संस्थान से पधारे लगभग 500 से अधिक छात्रो एंव छात्राओ ने भाग लिया।
इस सत्र मे प्रारंभ मे श्री शक्ति विनय शुक्ला, निदेशक,फ्रेगरेंस एंड फ्लेवर डव्लपमेंट सेंटर (एफएफडीसी) एमएसएमई मंत्रालय कन्नौज, ने अपने सम्बोधन मे सुगंधित तेल तथा अगरबत्ती, धूपबत्ती आदि के उद्योग स्थापित करने के लिए विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई, तथा बताया कि नागरमोथा, पामग्रास आदि से सुगंधित तेल का उत्पादन कर उद्योग स्थापित करते हुए अधिक से अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। इन उद्योगो की स्थापना, लागत तथा तकनीकी प्रशिक्षण अदि दिए जाने की जानकारी भी उपलब्ध कराई।
डा़ पी.पी. गोठवाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक,सीएसआईआर सीएफटीआरआई लखनऊ ने एग्रो एंव खाद्य प्रंसस्कण के उद्योगो की अपार संभावनाओ से अवगत कराया और कहा कि आने वाले समय मे इन उद्योगो का विस्तार होना सम्भव है क्योकि ऐसे उद्योगो द्वारा उत्पादित किए जाने वाले उत्पादो की दिनो-दिन मांग बढती जाएगी और विदेशो मे भी निर्यात किए जाने कर सम्भावनाएं बढेंगी, तथा अधिक से अधिक लोगो को रोजगार के अवसर मिलेगे।
डा़ राम आश्ररे, मुख्य वैज्ञानिक,एनआरआई आईएआरआई नई दिल्ली ने फलो एंव सब्जियों को अधिक समय तक संरक्षित किए जाने तथा इनका प्रशस्करण करते हुए इन पर आधारित उद्योगो की स्थापना पर बल दिया तथा पैक हाउस, कोल्ड स्टोरेज तथा कोल्ड चैन वाहन आदि की सम्भावनाओ के विषय मे व इनकी स्थापना हेतु सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओ व सब्सिडी आदि दिए जाने के सम्बन्ध मे जानकारी उपलब्ध कराई।डा0 अनभूति शर्मा,प्लांट बायोकैमिस्ट आईसीआर भरतपुर मे तेलीय फसलो मे वैल्यू एडिशन कर किस प्रकार कास्तकार अपनी आय को बढा सकते है, इस सम्बन्ध मे विस्तृत जानकारी दी।
डा़ संजय कुमार, वैज्ञानिक, आईसीआर सीआईएमएपी लखनऊ ने बुन्देलखण्ड मे औषधीय एंव सुगंधित पौधो को अपने खेतो मे लगाने पर जोर दिया जिससे कास्तकार अधिक से अधिक आय अर्जित कर सके। डा़ डी.एन. यादव, वैज्ञानिक, एफएसटी लुधियाना ने बुन्देलखण्ड के खेतो मे पैदा होने वाली प्रोटीन युक्त दालो के प्रंसस्करण व मूल्य सवर्धन की महत्ता पर जोर दिया और इन पर आधारित प्रोसेसिग उद्योगो को लगाने तथा फीडिंग,शॉर्टिंग और पैकिंग कर निर्यात किए जाने पर बल दिया।
डॉ़ एस.के. कट्यार, डीन बुन्देलखंड विश्वविद्यालय झांसी ने कृषि प्रसस्ंकरण से सम्बन्धित उद्योगो की स्थापना करने हेतु बुन्देलखंड क्षेत्र कां उभरता हुआ भविष्य बताया और इसके माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार सृजित करने के सम्बन्ध मे जानकारी दी।डा0 एम.के. त्रिपाठी, मुख्य वैज्ञानिक,आईसीएआर सीआईएई भोपाल द्वारा मोटे अनाज के प्रंसस्करण और इनमे वैल्यू एडीशन करते हुए अधिक से अधिक आय अर्जित करने के सम्बन्ध मे जानकारी दी।
डा0 ए.के. सिंह, मुख्य वैज्ञानिक, डेयरी टेक्निकल डिवीजन, करनाल ने पॉल्टी, अनेमिल हस्बेंड्री और इरगेनिक डेयरी मे वैल्यू एडीशन करते हुए जैविक उत्पाद के विषय मे आवश्यक जानकारी दी।इसके बाद विशेषज्ञ वक्ताओ को कुलपति द्वारा स्मृति चिन्ह भेट करते हुए सम्मानित किया गया और चैम्बर द्वारा आयोजित अपरान्ह भोज मे आमंत्रित किया गया।
सांयकालीन दूसरे सत्र मे डा0 डी.मोहन पात्रा, मूल्य सवर्धन के लिए उपयोगी मशीनरी तथा यंन्त्र संयन्त्रो के विषय मे आवश्यक जानकारी दी कि किस प्रकार इन मशीनो का उपयोग करते हुए उत्पाद मे वैल्यू एडीशन किया जा सकता है। डा0 मीनाक्षी सिंह, मुख्य वैज्ञानिक, नई दिल्ली ने खाद्य सुरक्षा कानून के विषय मे जानकारी उपलब्ध कराई कि किस प्रकार गुणवत्ता निंयत्रण और खाद्य सुरक्षा के लिए तय मानको का पालन किया जा सकता है।
शैलेश गुप्ता, मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने एग्रो प्रोसेसिंग के द्वारा रोजगार सृजन और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के सम्बन्ध मे आवश्यक जानकारी दीप्रो. संजय भ्याना,एनआईएफटीईएम उद्यमिता विकास कार्यक्रम के अर्न्तगत प्रशिक्षण लेते हुए स्टार्ट अप उद्योग लगाए जा सकते है, के सम्बन्ध मे आवश्यक जानकारी दी।
डा0 सी.वी. सिंह, सहायक महाप्रंवधक, एपीडा, वाराणसी द्वारा कृषि उद्योगो के माध्यम से कृषि निर्यात की चुनौतिओ को सुनियोजित तरीके से सहने की शक्ति पर बल दिया और कहा आने वाली चुनौतिओ से लडते हुए कृषि निर्यात को बढावा दिया जा सकता है, और भारत को विश्व मे आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा सकता है।
सभागार के प्रांगण मे एक एक्सपो भी लगाया गया जिसमे 38 दुकानों के स्टाल लगाए गए और इन स्टालों के माध्यम से दो दिनो मे लगभग 50 लाख रूपये से अधिक की आय अर्जित किए जाने की संभावनाए बढी है, और कास्तकारो द्वारा विशेष जानकारी आय बढाने के लिए ली गई।अंत मे सभी वक्ताओ को सम्मानित करते हुए प्रतीक चिन्ह भेट किए गए और सेमीनार समाप्त होने की घोषणा की गई।
इस दूसरे दिन के सेमीनार मे चैम्बर के महासचिव धीरज खुल्लर, सचिव सी.एस. सक्सेना, तथा अन्य पदाधिकारीगण/सदस्यगण जैसे पवन सरावगी, अशोक आनंन्दानी, अमित सिंह, राजू पुरवार, अभिनव कुमार, सी.ए. जे.पी. अग्रवाल, शिवा लिखधारी, गौरव अग्रवाल, विभोर गुप्ता, विक्रात सेठ, विष्णु गुप्ता, सतोष सूरी, वीरेन्द्र शर्मा, पंकज जैन, राजीव अग्रवाल, राजीव मेहता, इंजीनियर मुकेश गुप्ता, महेश चन्द्र अग्रवाल, गिरधारी लाल अग्रवाल, संजय पटवारी, आलोक कनकने, अतुल किलपन, विजय कुमार गुप्ता, यश चावला, समीर चावला, अजय सिरजिया, उमाशंकर अग्रवाल, ओमप्रकाश अग्रवाल, मनीष निवालकर आदि ने अथक परिश्रम करते हुए इस गोष्ठी को सफल बनाने मे स्वंय उपस्थित होकर अपना योगदान दिया जिससे यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित किया जा सके।
सोनिया
वार्ता
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