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जैविक खेती अपनाकर किसान आय करें दोगुनी व लागत करें कम: एस एस सिंह

झांसी 20 सितम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश में झांसी के बबीना विकासखंड में सोमवार को आयोजित किसान पाठशाला में संयुक्त कृषि निदेशक एस एस सिंह ने किसानों को जैविक खेती अपनाने के फायदे बताते हुए कहा कि इससे किसान न केवल अपनी आय को बढ़ा सकते है बल्कि अपनी लागत को भी कम कर सकतेे हैं।
विकास खंड बबीना के ग्राम पूनावाली कला में संयुक्त कृषि निदेशक की अध्यक्षता में आयोजित किसान पाठशाला में महिला किसानों सहित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि जैविक खेती से आप की आय जहां दोगुनी होगी वहीं लागत भी कम होगी, जैविक खेती के उत्पादों को बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है, आलोक अच्छे दामों में जैविक उत्पादों को खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा किसान पारंपरिक खेती को अपनाते हुए गोबर-गोमूत्र के साथ ही जीवामृत, घन जीवामृत तैयार कर के जैविक खेती में उपयोग किये जाने वाले फार्मुलेशन का उपयोग करना चाहिये।
इन तत्वों को घुलनशील एवं पौधों द्वारा सोखने योग्य बनाने में मिट्टी का तापमान, नमी और मिट्टी में पाये जाने वाले असंख्य सूक्ष्म जीवों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गोबर की खाद, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद आदि के प्रयोग से लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या मे वृद्धि होती है जिससे मिट्टी की भौतिक एवं रासायनिक दशा सुधरती है। जनपद में धान एवं गेहूॅ की खेती की जाती है, विगत कुछ वर्षों से धान एवं गेहॅूं के फसल अवशेष को जलाया जा रहा है, जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ मृदा में पोषक तत्वों की बहुत अधिक कमी होती है साथ ही मृदा के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फसल अवशेष जलाने से कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड निकलता है। इन गैसों के कारण सामान्य वायु की गुणवत्ता में कमी आती है, जिससे हृदय एवं फेफड़े की बीमारी के रूप में मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
फसल अवशेष जलाने से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, सूक्ष्म पोषक तत्व एवं कार्बन की क्षति होती है। पोषक तत्वों के नष्ट होने के अतिरिक्त मिट्टी के कुछ गुण जैसे भूमि तापमान, पीएच नमी, उपलब्ध फास्फोरस एवं जैविक पदार्थ भी अत्यधिक प्रभावित होते हैं। उन्होंने महिला किसानों को पराली के माध्यम से मशरूम की खेती किए जाने का सुझाव दिया उन्होंने बताया कि विषय वस्तु विशेषज्ञ द्वारा आपको मशरूम की खेती की जानकारी दी जाएगी आप मशरूम की खेती कर आर्थिक लाभ ले सकते हैं।
संयुक्त कृषि निदेशक ने अपील करते हुए कहा कि किसान भाई एवं बहने फसल अवशेष को जलाने के बजाय समीपस्थ गो-शाला में पहुंचाकर दो ट्राली पराली के बदले एक ट्राली गोबर की खाद ले जाए और अपने खेत की मृदा को स्वस्थ्य और उपजाऊ बनाएं, उन्होंने महिला किसानों को खेत में ही गड्ढे खोदकर कंपोस्ट खाद बनाने का भी सुझाव दिया उस खाद का इस्तेमाल जैविक खेती में करने से उपज में बढ़ोतरी होगी।
किसान महिलाओं एवं किसानों को बताया गया कि कोरोना अभी गया नहीं है, इसलिए सामाजिक दूरी के साथ अन्य उपाय भी लगातार किए जाने हैं। कृषि कार्यों को करने के बाद हाथों को साबुन से नियमित रूप से धोयें अथवा सेनिटाइजर का प्रयोग करें। कार्य करते समय आखं, मुँह, नाक को हाथ से न छुएं ताकि संक्रमण से बचे रहें। कृषि कार्यो में लगे श्रमिकों के बीच दूरी रखते हुए सोशल डिस्टेसिंग बनाए रखें। खेती कार्यों में लगे हुए श्रमिक अपने चेहरे पर मास्क अथवा अंगोछा/दुपट्टा अच्छी तरह ढकें।
किसान पाठशाला में सहायक निदेशक मृदा संजीव कुमार,ग्राम प्रधान , जय सिंह,मास्टर ट्रेनर , सतीश पचौरी,विषय वस्तु विशेषज्ञ , दीपक कुशवाहा,महिला किसान कुसुमा,श्रीमती पार्वती, प्रियंका,सरोज, रवि ,राजेंद्र बनवारी सहित बड़ी संख्या में किसान भाई उपस्थित रहे।
सोनिया
वार्ता
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