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राजनीति रामगोपाल राजनीति दो अंतिम इटावा

समय के बेहद पाबंद प्रोफेसर रामगोपाल यादव सच्ची और खरी-खरी बात करने वाले इंसान हैं। वह चापलूसों और चाटुकारों से दूर रहते हैं। उनका मानना है कि इंसान के जीवन में समय सबसे अनमोल होता है, एक बार जो समय निकल जाता है। वह वापस लौटकर नहीं आता है। जो लोग समय की कद्र नहीं करते हैं उनसे कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसे लोग जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
एक इंटरव्यू के दौरान प्रो. यादव ने कहा था कि वो कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे । वो तो पेशे से प्राध्यापक थे। एक दिन नेता जी मुलायम सिंह जीप में आए और बोले कोई भी उम्मीदवार नहीं मिल रहा है तो तुम बसरेहर, इटावा से ब्लाक प्रमुख चुनाव के लिए नामांकन कर आओ । उसे जीतने के बाद फिर ज़िला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हुआ और तब तक मैं सक्रिय राजनीति में पहुॅच चुका था ।
मुलायम सिंह के परिवार से जुड़े कुछ लोग बताते हैं कि नेताजी ने रामगोपाल यादव की अनुपस्थिति में भी हमेशा उन्हें प्रोफ़ेसर साहब कर संबोधित किया है और खुद कह चुके हैं कि हमारे यहां आगरा विश्विद्यालय तक पढ़ के लौटने वाले रामगोपाल ही सबसे पढ़े लिखे थे ।
रामगोपाल तब ख़ासे नाराज़ हो उठते हैं जब उनके पास सिफ़ारिश करवाने की मंशा से लोग पूरी फ़ाइल भेज देते हैं ।उनका मानना है कि जो 30 सेकंड में अपनी बात दूसरे को समझा न सके तब दिक्कत है ।
शाक्य प्रदीप
वार्ता
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