राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Nov 15 2022 10:55PM विनय पाठक की गिरफ्तारी पर राेक लगाने वाली याचिका खारिजलखनऊ 15 नवंबर (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान एवं न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ ने याची प्रोफेसर विनय पाठक की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया है। इससे पहले कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई पूरी करके गुरुवार को फैसला सुरक्षित कर लिया था । कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक की उस याचिका को कोर्ट मे खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआइआर को चुनौती देते हुए एफआईआर को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने की मांग की थी। न्यायालय ने आदेश में कहा है कि याची की ओर से ऐसा कोई तथ्य नहीं बताया जा सका जिसके आधार पर उसके खिलाफ दर्ज एफआइआर को खारिज किया जा सके। न्यायालय ने कहा कि चूंकि एफआइआर नहीं खारिज हो सकती, लिहाजा याची को गिरफ्तारी के मामले में भी कोई राहत नहीं प्रदान की जा सकती है। प्रो पाठक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराकर वादी डेविड मारियो डेनिस ने कहा था कि उन्होंने उनके बिल पास करने के एवज में एक करोड़ 41 लाख रुपये अवैध रूप से ऐंठे हैं। विनय पाठक की ओर से पेश अधिवक्ता डाक्टर एलपी मिश्रा का तर्क था कि भ्रष्टाचार के केस में पाठक को बिना अभियोजन स्वीकृति के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। साथ ही याची के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता । राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप नारायण माथुर एवं वादी के और से वरिष्ठ अधिवक्ता आइबी सिंह ने सुनवाई के समय कहा कि प्राथमिकी को पढ़ने से प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध का बनना स्पष्ट होता है, लिहाजा प्राथमिकी को खारिज नहीं किया जा सकता। इन परिस्थितियों में पाठक की गिरफ्तारी पर भी रोक नहीं लगाई जा सकती है । दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। इससे पहले भी पीठ ने एक नवंबर को सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित किया था लेकिन अगले दिन फैसला आने से पहले ही पाठक के अधिवक्ता के अनुरोध पर उन्हें और बहस करने का समय दे दिया था। अदालत ने फैसला सुनाते हुए विनय पाठक की याचिका खारिज कर दी है । सं प्रदीपवार्ता