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जौनपुर में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली क्षत्राणी का निधन

जौनपुर, 21 नवम्बर (वार्ता) अंग्रेजी फौज को लाठी के बल पर खदेड़ने वाली व स्वत्रंत्रता आंदोलन की चश्मदीद गवाह रही जिले की वरिष्ठ मतदाता महारानी देवी का 114 वर्ष की आयु में सोमवार को निधन हो गया।
उनका अंतिम संस्कार रामघाट पर किया गया। उनके निधन की खबर मिलते ही जिले में शोक की लहर दौड़ पड़ी है । उनके पैतृक आवास रासमंडल मोहल्ले से लेकर रामघाट तक शोक संवेदना प्रकट करने वालो का तांता लगा रहा। महारानी देवी जिले की सबसे वरिष्ठ मतदाता भी थी। चुनाव आयोग ने उन्हें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर उनके घर जाकर सम्मानित भी किया था।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जौनपुर नगर के रासमंडल मोहल्ले के निवासी रामेश्वर प्रसाद सिंह का घर स्वत्रंत्रता आंदोलन का केंद्र बिंदु रहा है। महात्मा गांधी से लेकर सभी आंदोलनकारी इन्ही के घर पर रह कर पूर्वांचल के जनपदों में आंदोलन को धार देने की रणनीति बनाते थे। उसके बाद बनाई गई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का कार्य रामेश्वर सिंह व उनकी टीम करती थी। इस कार्य मे उनकी पत्नी महारानी देवी भी अपना सहयोग करती थी। वे आजादी के दीवानों को खाना नाश्ता की व्यवस्था करने के साथ पर्दे के पीछे से उनका पूरा सहयोग करती थी।
दो वर्ष पूर्व महारानी देवी ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में बताया था “ दो अक्टूबर 1929 को गांधी जी मेरे आवास पर ठहरे थे। हम लोगो ने पूरे धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाया था। अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने मेरे परिवार के जमींदारी के कागजात जलवा कर तोहफा लिया था। गांधी जी के जाने के बाद हमने अपने घर के प्रांगण में तिरंगा झंडा फहरा कर जश्न मनाया। यह खबर जब अंग्रेजी हुकूमत को लगी तो अंग्रेजो की फौज मेरे घर पर धावा बोल दिया था। उस समय मेरे घर पर कोई पुरुष सदस्य नही थे। मेरे बार बार मना करने के बाद भी सिपाही घर मे घुसने का प्रयास कर रहे थे तब खुद लाठी लेकर उनका मुकाबला करने के लिए सामने खड़ी हो गई। मेरा रौद्ररूप देखकर सिपाही भाग गए। ”
सं प्रदीप
वार्ता
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