राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Sep 24 2019 10:15PM वाहनों के चालान भेजने में देरी पर डीजीपी से हलफनामा तलब
प्रयागराज 24 सितम्बर (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चेकिंग में वाहनों के चालान कर अदालत में भेजने में देरी को गम्भीरता लेते हुए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से हलफनामा मांगा है कि चालान कोर्ट भेजने के लिए कितना समय चाहिए।
न्यायालय ने डीजीपी को यह भी निर्देश दिया है कि प्रदेश पुलिस को सर्कुलर जारी कर वाहनो के चालान तीन दिन में न्यायालय भेजे।
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खण्डपीठ ने प्रयागराज के आलोक कुमार यादव की याचिका पर यह आदेश दिया ।
26 अप्रैल को याची दोपहिया वाहन से जा रहा था। जार्ज टाउन थाने के दरोगा कृष्ण कुमार सरोज ने चेकिंग के दौरान वाहन का चालान काटा और ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लिया। चालान न्यायालय नहीं भेजा गया, जिससे याची जब्त लाइसेंस नहीं छुड़ा सका। उसने अधिकारियो से चालान कोर्ट भेजने की मांग की ,तो अधिकारियो ने याची के नाम एक फर्जी पत्र लिखवाया जिसमें 29 जुलाई को याची से ड्राइविंग लाइसेंस खोने की बात लिखी गई जबकि लाइसेंस पुलिस ने पहले ही जब्त कर लिया था। सरकारी वकील इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए तो न्यायालय ने अधिकारियो को तलब किया।
मामले की अगली सुनवाई के दिन एसएसपी प्रयागराज सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ,एसपी ट्रैफिक कुलदीप सिंह एवं दरोगा के के सरोज अदालत में हाजिर हुए और गलती मानी कि लाइसेंस खो जाने के कारण याची के वाहन का चालान नहीं भेजा जा सका। अधिकारियो ने माना ऐसे बहुत से चालान भेजने में काफी देरी होती है। पुलिस ने बेहतर जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा।
न्यायालय ने कहा कि वाहनों के चालान भेजने में देरी के चलते पिछले 2 साल में 57 से 75 लाख मुकदमे लंबित है। पुलिस अचानक बडी संख्या में चालान न्यायालय भेज देती है। अदालत में स्टाफ को उन्हे पंजीकृत कर मुकदमा संख्या देने में भारी दिक्कत उठानी पड़ती है।
अदालत ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि प्रदेश भर से पुलिस से आंकड़े इकट्ठा कर स्वयं इस मामले को देखे और उचित दिशा निर्देश जारी करे।
सं दिनेश त्यागी
वार्ता