राज्य » अन्य राज्यPosted at: Nov 18 2018 3:56PM इस दौरान सभी प्रमुख केंद्रीय नेताओं ने राम मंदिर , गंगा , राफेल , अडानी , अंबानी , बैंक लोन घोटाला , किसानों के कर्ज और विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए लेकिन आश्चर्यजनक तथ्य यह रहा कि इन नेताओं ने छत्तीसगढ़ की देह का नासूर बन चुके नक्सलवाद के खात्मे पर कुछ ठोस नहीं कहा।विपक्ष के आरोपों और तथा सत्ता पक्ष की अपनी उपलब्धियों के बखान के शोरगुल में जल, जंगल और जमीन की दरकार, बेरोजगारी, कुपोषण ,पलायन, किसानों की खुदकुशी की विवशताओं के साथ ही वैश्विक उदारीकरण की धुंध में लुप्त होती पुरातन संस्कृति जैसे स्थानीय मुद्दे दबकर रह गये और जनसामान्य से जुड़ी आवश्यकताओं को दरकिनार ही कर दिया गया ।छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ती जिंदगी को लेकर लोकतंत्र के रहनुमाओं ने कुछ नहीं कहा। गंगा जल छूकर किसानों का कर्ज माफ करने की कसमें खाने वालों ने यह भी नहीं कहा कि किसानों के खेतों पर क्रंकीट के जंगल खड़े नहीं किए जायेंगे । एक या दो रूपये में चावल उपलब्ध कराने का वादा करने वाले इन नेताओं ने गरीब किसानों और मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए किसी ठोस योजना का खाका पेश नहीं किया ।नब्बे सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए पहले चरण में 18 सीटों पर गत 12 नवंबर को मतदान हो चुका है तथा दूसरे चरण में 72 सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा । रविवार शाम पांच बजे चुनाव प्रचार की अंतिम समय सीमा को देखते हुए सभी राजनीतिक दल मतदाताओं के समर्थन के लिए जी-जान से जुटे हैं।टंडन जितेन्द्रवार्ता