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नहीं रहे साहित्य अकादमी से सम्मानित प्रसिद्ध तमिल लेखक राजनारायणन

नहीं रहे साहित्य अकादमी से सम्मानित प्रसिद्ध तमिल लेखक राजनारायणन

चेन्नई, 18 मई (वार्ता) साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध तमिल साहित्यकार एवं की रा के नाम से मशहूर की.राजनारायणन का मंगलवार को तड़के यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे।

उनके परिवार में दो पुत्र हैं। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक उनका निधन उम्र संबंधी बीमारियों की वजह से हुआ। उनका पार्थिव शरीर लॉस्पेट सरकारी क्वार्टर में उनके निवास रखा गया, जहां पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सौंदराराजन ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा श्री राजनारायणन का अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

स्थानीय भाषा में कहानियां लिखने के लिए प्रसिद्ध श्री की रा ने करिसल कातु सोल्लागरथी नाम से एक शब्दकोश की भी रचना की है। श्री की. रा. युवावस्था में तपेदिक से ग्रसित हो गये थे। उन्होंने सातवीं कक्षा के बाद विद्यालय छोड़ दिया था और लगभग दो दशक बाद 30 साल की उम्र में अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत की थी।

उनकी पहली लघु कहानी 1959 में मयामान नाम से सरस्वती नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुयी थी।

श्री की. रा. को उन्हें उपन्यास 'गोपल्लापुरथु मक्कल', जिसमें उन्होंने तमिलनाडु के दक्षिणी हिस्से में चले गए लोगों की दशा को दर्शाया था, के लिए 1991 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्होंने एक और 'अंडमान नायकर' नाम से एक और उपन्यास की रचना की थी।

श्री स्टालिन के अलावा मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कषगम नेता वाइको, पट्टाली मक्कल काच्ची के संस्थापक डॉ. एस. रामदॉस तथा विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने श्री की. रा. के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

संतोष जितेन्द्र

वार्ता

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