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प्रेमचंद्र मिश्रा ने की पथ निर्माण मंत्री को बर्खास्त करने की मांग

प्रेमचंद्र मिश्रा ने की पथ निर्माण मंत्री को बर्खास्त करने की मांग

पटना 17 मार्च (वार्ता) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने आज कहा कि महात्मा गांधी सेतु के निर्माण में घटिया इस्पात के इस्तेमाल के उनके आरोपों की पुष्टि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में कर दी है और इसके बाद पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।

श्री मिश्रा ने यहां कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महात्मा गांधी सेतु के निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितता और घटिया इस्पात के इस्तेमाल किए जाने के संबंध में उन्होंने विधान परिषद के पिछले सत्र में ध्यानाकर्षण सूचना दी थी और उसके बाद इस सत्र में भी उन्होंने सदन के अंदर इस मामले को उठाया था लेकिन उनकी बात को सत्ता पक्ष ने गंभीरता से नहीं लिया लेकिन कल सीएजी की रिपोर्ट में उनकी बातों की पुष्टि हो गई कि महात्मा गांधी सेतु के निर्माण में घटिया इस्पात का इस्तेमाल हुआ है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह पिछले एक साल से सदन के अंदर और बाहर महात्मा गांधी सेतु के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल के मामले को उठा रहे थे लेकिन पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव इसे झूठा करार दे रहे थे। इस संबंध में उन्होंने केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी पत्र लिखा था लेकिन उन्होंने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जब महात्मा गांधी सेतु का निर्माण कार्य हो रहा था तब तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुनील कुमार सिंह, रेजिडेंट इंजीनियर आई. एन. मिश्रा और सलाहकार कंपनी के अभियंता प्रशांत भट्टाचार्य ने भी लिखित आपत्ति जताई थी कि गांधी सेतु के निर्माण में गड़बड़ी हो रही है और घटिया सामग्रियों का इस्तेमाल हो रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए लेकिन सुशासन की सरकार ने अभियंताओं की इन आपत्तियों पर कार्यवाही या जांच के बजाय उन तीनों अधिकारियों को ही हटा दिया।

श्री मिश्रा ने कहा कि निर्माण में जानबूझकर घटिया इस्पात का इस्तेमाल किया गया और लाखों लोगों की जान को खतरे में डाला गया है। उन्होंने कहा कि निर्माण के लिए किए गए करार के अनुसार गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर को अलग-अलग खंड में तोड़ा जाना था ताकि गंगा नदी में मलवा न गिरे और जल बहाव न रुके। इसके लिए 300 करोड़ रुपये का अलग से प्रावधान किया गया था। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी ने पूरे स्ट्रक्चर को एक ही बार में तोड़ दिया, जिससे उसे 300 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। उन्होंने कहा कि यह बिहार का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है और इसमें करीब 1000 करोड़ रुपये का घपला हुआ है।

शिवा सूरज

जारी वार्ता

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