राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Sep 17 2019 8:07PM राष्ट्र की रक्षा भी सन्यासी का प्रथम कर्तव्य है:योगी
गोरखपुर, 17 सितम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राष्ट्र की रक्षा भी सन्यासी का प्रथम कर्तव्य है और यह परम्परा गोरक्षपीठ के माध्यम से सदैव जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री मंगलवार को यहां गोरखनाथ मंदिर परिसर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 50वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ की पाचवीं पुण्यतिथि समारोह के तहत महंत दिग्विजयनाथ की श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की क्रन्ति और चौरी-चौरा कांड में भी गोरक्षपीठ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जो राष्ट्रधर्म की ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वरों द्वारा प्रारम्भ की गई यह परम्परा आगे भी निरन्तर चलती रहेगी।
उन्होनें कहा कि हमारे पूर्व के पीठाधीश्वरों ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि व्यक्तिगत धर्म से राष्ट्रधर्म बड़ा है। यदि व्यक्ति का विकास चाहिए तो राष्ट्र का विकास उसकी अनिवार्य शर्त है। समर्थ भारत और समृद्धि की पूरी परिकल्पना भारत के संविधान में निहित है। भारत के अनेक मनीषियों एवं बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर ने भारत का जो संविधान हमें दिया है वह उसी भारत के निर्माण का आधार है जैसा भारत हम चाहते है।
श्री योगी ने कहा कि भारत की ऋषि परम्परा एवं भारत के संत परम्परा ने जिस भारत की परिकल्पना प्रस्तुत की है उसे हमे भारत के संविधान में देख सकते है। भारतीय संस्कृति में छुआछूत, ऊंचनीच जैसी किसी भेदभाव को स्थान प्राप्त नहीं है और यही बात भारत का संविधान भी कहता है। उन्होंने कहा कि श्रीगोरखनाथ मन्दिर में सभी पंथों के योगी-महात्मा रहते है। दोनों ब्रह्मलीन महन्त ने हिन्दुत्व को ही श्रीगोरखनाथ मन्दिर का वैचारिक अधिष्ठान बनाया।
उदय त्यागी
जारी वार्ता