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झाबुआ में जनता का आदेश स्वीकार - राकेश

झाबुआ में जनता का आदेश स्वीकार - राकेश

भोपाल, 24 अक्टूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस की विजय की औपचारिक घोषणा के पहले ही मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने आज पराजय स्वीकारते हुए कहा कि उनका दल जनता के आदेश का सम्मान करता है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री सिंह ने यहां प्रदेश पार्टी कार्यालय में मीडिया से चर्चा में दावा किया कि चुनाव प्रचार के दौरान सत्ता के खिलाफ असंतोष दिखायी दे रहा था। इस आधार पर उन्हें नतीजे कुछ और आने की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आदिवासियों तक अपनी बात पहुंचाने में हम कहां नाकाम रहे हैं, इसकी समीक्षा की जाएगी।

श्री सिंह ने साथ ही आरोप लगाया कि झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने प्रशासनिक मशीनरी का दुरूपयोग किया। उन्होंने दोहराते हुए कहा कि लेकिन उनका दल जनता के आदेश का सम्मान करते हुए उसे स्वीकार करता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि झाबुआ में भाजपा प्रत्याशी का चयन सर्वसम्मति से किया गया था।

इसके पहले प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित झाबुआ कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है।

वहां भाजपा ने कम ही अवसरों पर सफलता पायी है। चुनाव परिणामों को लेकर भाजपा संगठन में बदलाव संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस बारे में निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करता है।

राज्य में नवंबर दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने श्री कमलनाथ के नेतृत्व में विजय हासिल कर पंद्रह वर्षों से सत्तारूढ़ भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया था। पिछले दस माह के दौरान राज्य में छिंदवाड़ा और झाबुआ विधानसभा उपचुनाव हुए। छिंदवाड़ा में हुए उपचुनाव में श्री कमलनाथ ने स्वयं विजय हासिल की थी और अब आदिवासी बहुल झाबुआ में दिग्गज आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया की जीत सुनिश्चित है।

विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस को 230 में से 114 सीटों पर विजय हासिल हुयी थी, जबकि भाजपा 109 पर आकर ठहर गयी थी। इसके अलावा चार निर्दलीयों, बसपा के दो और समाजवादी पार्टी के एक विधायक ने जीत दर्ज करायी थी। श्री कमलनाथ ने बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल कर 17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी।

झाबुआ सीट कांग्रेस की झोली में आने के बाद अब इसके विधायकों की संख्या 114 से बढ़कर 115 हो गयी है। वहीं भाजपा के विधायक 108 पर सिमट गए हैं। एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल राज्य सरकार में पहले से ही मंत्री हैं।

प्रशांत

वार्ता

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