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कृषि कानून को अदालत में चुनौती देगी पंजाब सरकार : बादल

कृषि कानून को अदालत में चुनौती देगी पंजाब सरकार : बादल

लखनऊ 25 सितम्बर (वार्ता) संसद में पारित नये कृषि कानून को किसानों के हित के खिलाफ सबसे बड़ा धोखा बताते पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीति सिंह बादल ने शुक्रवार को यहां कहा कि किसान विरोधी इस नये कृषि कानून को उनकी सरकार उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।

श्री बादल ने प्रदेश कांग्रेस के दफ्तर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संसद में बगैर चर्चा और प्रक्रिया अपनाये ही तानाशाही तरीके से कृषि उपज, व्यापार और वाणिज्य विधेयक,मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर किसान समझौता और आवश्यक वस्तुु संशोधन विधेयक पारित करने से मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है।

उन्होने कहा कि खुद को किसान हितैषी बताने वाली मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों की आय को दुगुना करने का संकल्प लिया था लेकिन छह साल में भाजपा के शासनकाल में कृषि विकास दर जहां 3.1 प्रतिशत है वहीं यूपीए शासनकाल में यह 4.3 प्रतिशत थी। कृषि आय 14 साल में इस साल सबसे कम है। किसान की उपज का दाम पिछले 18 साल में इस साल सबसे कम आया है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करेंगे लेकिन उसे लागू न करके किसानों के साथ विश्वासघात किया है।

पंजाब के मंत्री ने कहा कि उपरोक्त तीनों नये कृषि कानूनों में एमएससी का जिक्र न किये जाने से -सरकारी अनाज मंडिया सब्जी तथा फल मंडिया समाप्त हो जायेंगीं जिसकी वजह से किसान पूंजीपतियों द्वारा तय किये गये मूल्य पर अपने उत्पादित फसल को बेंचने के लिए बाध्य हो जाएगा। अनाज मण्डी, सब्जी व फल मण्डी खत्म करने से कृषि उपज व्यवस्था पूरी तरीके से नष्ट हो जाएगी और पूंजीपतियों को फायदा हेागा।

सीएसीपी (कमीशन फार एग्रीकल्चरल कास्ट एण्ड प्राइसेस) आयोग जो केन्द्र सरकार को कृषि उपज के दाम का निर्धारण करती है उसने सिफारिश की है कि किसानों को इस वर्ष मंहगाई 8.6प्रतिशत हो गयी है इसलिए गेहूं की एमएसपी पर 6.6 प्रतिशत और धान पर 5.9 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की जाए मगर अफसोस है कि गेहूं में 2.6 प्रतिशत और धान पर 2.9 प्रतिशत बढ़ाया है और संसद में घोषणा किया कि 50 रूपये प्रति कुन्तल बढ़ा दिया। आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि

जिन भी कृषि उपज गेहूं, धान, मक्का, सरसों आदि का एमएसपी पर खरीद होती है इसका रिव्यू किया जाए। इसके साथ ही उर्वरक सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में 5000रू0 प्रति किसान दिया जाए।

उन्होने कहा कि मोदी सरकार कुछ किसानों के खाते में 500 रूपये प्रतिमाह यानि 6000 रूपये वार्षिक देकर डीजल पर जो एक्साइज यूपीए शासनकाल में 3.56 पैसे था उसे बढ़ाकर 40 रूपये कर दिया है जिससे किसानों को सिर्फ डीजल खरीद में 6000 रूपये सालाना अधिक देना पड़ रहा है।

प्रदीप

जारी वार्ता

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