अयोध्या,19 मार्च (वार्ता) श्रीरामजन्मभूमि परिसर में बनाये जा रहे अस्थायी मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेने के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 24 मार्च को अयोध्या आ रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर रामलला के गर्भगृह को शिफ्ट करने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। उन्होंने बताया कि मानस भवन के गैलरी में फाइबर के मंदिर में पच्चीस मार्च को मुख्यमंत्री संत-धर्माचार्य वैदिक मंत्रों के बीच रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि श्री योगी 24 मार्च की रात को ही अयोध्या पहुंचेगे और वहीं प्रवास करेंगे । वह दूसरे दिन तड़के चार बजे नवरात्र और रामनवमी के प्रथम दिन रामलला का पूजन-अर्चन करेंगे। इस दौरान रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास सहित अन्य ट्रस्ट के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे।
उन्होंने बताया कि रामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के साथ-साथ श्रद्धालुओं के रामलला दर्शन के लिये रास्ते भी सुलभ बनाये जा रहे हैं। अब रास्ते की दूरी कम होगी और रामलला के नजदीक से दर्शन हों सकेंगे। रामलला के अस्थायी मंदिर में प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालु उनके नजदीक से दर्शन कर सकेंगे।
सूत्रों के अनुसार रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के चबूतरे का निर्माण भी हो चुका है जो चौबीस गुणे सत्रह फुट के मंदिर में रामलला विराजमान होंगे। यह मंदिर बुलेटप्रूफ फाइबर के स्ट्रक्चर पर खड़ा किया गया है। उन्होंने बताया कि यह अस्थायी मंदिर पूर्ण रूप से सुविधाओं से लैस होगा। रामलला अब तक जाड़ा, गर्मी एवं बरसात सभी मौसम में टेंट में विराजमान थे, लेकिन अब रामलला का अस्थायी मंदिर बहुत ही बेहतरीन और सुविधायुक्त होगा। इसमें रामलला को गर्मी से बचने के लिये दो एसी भी लगाये गये हैं। रामलला के गर्भगृह में शिफ्ट होने के साथ ही साथ रामजन्मभूमि के समतलीकरण का कार्य भी शुरू हो सकता है। उन्होंने बताया कि रामलला अस्थायी मंदिर में शिफ्ट होने के बाद पीला वस्त्र पहनेंगे।
जानकारी के अनुसार रामलला के जन्मोत्सव अर्थात् रामनवमी पर तीन कुंतल पंजीरी, एक कुंतल चरणामृत का भोग लगाकर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया जायेगा। रामलला का जन्मोत्सव का भोग प्रसाद पचास वर्षों से बनाने वाले हलवाई ने बताया कि सौभाग्य है कि इतने लम्बे समय से रामलला से जुड़े हैं। इसमें पैसे का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने बताया कि हर जन्मोत्सव पर सवा किलो पंजीरी का भोग लगाया जाता था लेकिन इस वर्ष तीन कुंतल पंजीरी और एक कुंतल चरणामृत बनाने का आदेश मिला है।
उन्होंने बताया कि पंजीरी का सिंघाड़ा खरीदकर उसको साफ-सफाई से पिसवाया जाता है और फिर उसको देशी घी में भूनकर रामलला के जन्मोत्सव की पंजीरी बनती है। इस दौरान पेड़ा, मिष्ठान, दूध और पंचमेवा का भी भोग रामलला को लगाया जाता है।
सं त्यागी
वार्ता