इटावा , 8 अक्टूबर (वार्ता) उत्तर प्रदेश की राजनीति में ज्यादातर एक दूसरे के प्रबल प्रतिद्धंदी की भूमिका में रहने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापकों का रिश्ता एक जमाने में शहद की मिठास को भी मात देता था।
यूं कहा जाये कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बदौलत ही बसपा संस्थापक कांशीराम ने पहली बार संसद का रूख किया था और कांशीराम की सलाह पर ही मुलायम ने सपा का गठन किया, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जानकार बताते हैं कि श्री कांशीराम पहली बार इटावा से चुनाव लड़ रहे थे, उस समय श्री मुलायम सिंह यादव आये दिन अनुपम होटल फोन करके उनका हालचाल तो लेते रहते थे,साथ ही होटल मालिक को यह भी दिशा निर्देश देते रहते थे कि कांशीराम हमारे मेहमान है उनको किसी भी तरह की कोई कठिनाई नही होनी चाहिए ।
संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बाद दलितो के सबसे बडे हितैषी माने जाने वाले कांशीराम की नौ अक्टबूर को पुण्यतिथि है । ऐसे मे उनके जनप्रतिनिधि के तौर पर पहली सीढ़ी का जिक्र करना लाजिमी है। इटावा का प्रतिनिधित्व कर उन्होने राजनैतिक पायदान ऐसी चढी कि फिर पीछे मुड़ कर नही देखा ।
मुलायम के गृह जिले इटावा के लोगो ने कांशीराम को एक ऐसा मुकाम हासिल कराया जिसकी कांशीराम को एक अर्से से तलाश थी । कहा यह जाता है कि 1991 के आम चुनाव मे इटावा मे जबरदस्त हिंसा के बाद पूरे जिले के चुनाव को दुबारा कराया गया था। दुबारा हुये चुनाव मे बसपा सुप्रीमो कांशीराम ने खुद संसदीय चुनाव मे उतरे ।
बसपा के पुराने नेता और 1991 मे कांशीराम के संसदीय चुनाव प्रभारी खादिम अब्बास बताते है कि मुलायम सिंह यादव ने समय की नब्ज को समझा और कांशीराम की मदद की जिसके एवज मे कांशीराम ने बसपा से कोई प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव के खिलाफ जसवंतनगर विधानसभा से नही उतारा जबकि जिले की हर विधानसभा से बसपा ने अपने प्रत्याशी उतरे थे।
उन्होने बताया कि चुनाव लड़ने के दौरान कांशीराम इटावा मुख्यालय के पुरबिया टोला रोड पर स्थित तत्कालीन अनुपम होटल मे करीब एक महीने रहे थे। वैसे अनुपम होटल के सभी 28 कमरो को एक महीने तक के लिये बुक करा लिया गया था लेकिन कांशीराम खुद कमरा नंबर छह मे रूकते थे और सात नंबर मे उनका सामान रखा रहता था । इसी होटल मे कांशीराम ने अपने चुनाव कार्यालय भी खोला था ।
एक वक्त अनुपम होटल के मालिक रहे बल्देव सिंह वर्मा बताते है कि उस समय मोबाइल फोन की सुविधा नही हुआ करती थी और कांशीराम के लिये बडी संख्या मे फोन आया करते थे, इसी वजह से कांशीराम के लिये एक फोन लाइन उनके कमरे मे सीधी डलवा दी गई थी जिससे वो अपने लोगो के संपर्क मे लगातार बने रहते थे ।
वर्मा बताते है कि मुलायम सिंह यादव का अमूमन फोन इस बाबत आता रहता था कि कांशीराम हमारे मेहमान है उनको किसी भी प्रकार की तकलीफ नही होनी चाहिये हालांकि सपा संस्थापक कभी होटल में नहीं आये। हां इतना जरूर पता है कि कांशीराम और मुलायम सिंह यादव की फोन पर लंबी बातचीत जरूर होती थी । कांशीराम के चुनाव मे गाडियो के लिये डीजल आदि की व्यवस्था देखने वाले आर.के.चौधरी बाद मे उत्तर प्रदेश मे सपा बसपा की सरकार मे परिवहन मंत्री बने । कांशीराम को नीला रंग सबसे अधिक पंसद था इसी वजह से उन्होने अपनी कंटेसा गाडी को नीले रंग से ही पुतवा दिया था पूरे चुनाव प्रचार मे कांशीराम ने सिर्फ इसी गाडी से प्रचार किया ।
इटावा लोकसभा क्षेत्र आरक्षित सीट हुए वर्ष 1991 में हुए उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी कांशीराम समेत कुल 48 प्रत्याशी मैदान में थे। चुनाव में कांशीराम को एक लाख 44 हजार 290 मत मिले और उनके समकक्ष भाजपा प्रत्याशी लाल सिंह वर्मा को 1 लाख 21 हजार 824 मत मिले। मुलायम सिंह यादव की जनता पार्टी से लड़े रामसिंह शाक्य को मात्र 82624 मत ही मिले थे।
कांशीराम कोई जननायक या करिश्माई व्यक्तित्व वाले जबरदस्त वक्ता या नेता नहीं थे। शायद वो ये जानते भी थे कि उनकी ताक़त थी लक्ष्य के प्रति उनका पूरा समर्पित होना, उनका संगठनात्मक कौशल और बेजोड़ रणनीति बनाने की उनकी क्षमता । कांशीराम को सांसद पहुचांने का काम किया इटावा की आवाम ने 1991 के चुनाव मे किया ।
1991 मे कांशीराम की इटावा से जीत के दौरान मुलायम का कांशीराम के प्रति यह आदर अचानक उभर कर सामने आया था जिसमें मुलायम ने अपने खास की पराजय करने में कोई गुरेज नहीं किया था, इस हार के बाद रामसिंह शाक्य और मुलायम के बीच मनुमुटाव भी हुआ लेकिन मामला फायदे नुकसान के चलते शांत हो गया । कांशीराम की इस जीत के बाद उत्तर प्रदेश में मुलायम और कांशीराम की जो जुगलबंदी शुरू हुई इसका लाभ उत्तर प्रदेश में 1995 में मुलायम सिंह यादव की सरकार काबिज होकर मिला लेकिन 2 जून 1995 को हुये गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा बसपा के बीच बढी तकरार इस कदर हावी हो गई कि दोनो दल एक दूसरे को खत्म करने पर अमादा हो गये।
वर्ष 2019 के ससंदीय चुनाव मे समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच गठबंधन के जरिये नई जुगलबंदी हुई जब नतीजे आये तो गठबंधन टूट गया। 1991 मे कांशीराम के संसदीय चुनाव प्रभारी खादिम अब्बास बताते है कि कांशीराम मुलायम सिंह के बीच हुये गुप्त समझौते के तहत कांशीराम ने अपने लोगो से उपर का वोट हाथी और नीचे का वोट हलधर किसान चिंह के सामने देने के लिये कह दिया था । जिसके नतीजे के तौर पर जसंवतनगर मे नीचे मतलब मुलायम और उपर मतलब कांशीराम को ना केवल वोट मिला बल्कि जीत भी अर्जित की ।
खादिम अब्बास की माने तो कांशीराम ने अपने शर्ताे के अनुरूप मुलायम सिंह यादव से खुद की पार्टी यानि सपा का गठन करवाया और तालमेल किया । 1993 में समाजवादी पार्टी ने 256 सीटों पर और बहुजन समाज पार्टी ने 164 सीटों पर विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा और पहली बार उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज की सरकार बनाने में कामयाबी भी हासिल कर ली ।
सं प्रदीप
वार्ता