राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Dec 15 2019 9:25PM कारगिल जैसी घटना को रोकने के लिए मज़बूत ख़ुफिय़ा नैटवर्क समय की ज़रूरतचंडीगढ़, 15 दिसंबर(वार्ता)रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि कारगिल जैसी किसी अन्य घटना को रोकने के लिए ख़ुफिय़ा नैटवर्क को अधिक मज़बूत करने की ज़रूरत है। ‘लैसंस लर्नट फ्रॉम द कारगिल वॅार एंड देयर इंपलीमैंटेशन’ विषय पर करवाए गए सत्र में हिस्सा लेते हुये रक्षा सचिव (अवकाश प्राप्त )शेखर दत्त ने आज यहां कहा कि हमें केंद्रीय और राज्य स्तर पर ख़ुफिय़ा और निगरानी प्रणाली को मज़बूत करने की ज़रूरत है। लेफ्टिनेंट जनरल जे.एस.चीमा और एयर मार्शल निर्दोष त्यागी समेत सभी पैनलिस्टों ने कारगिल जैसी अचानक घटने वाली को घटनाओं से बचने के लिए अधिक से अधिक ख़ुफिय़ा संगठन बनाने और विकसित करने पर ज़ोर दिया। विचार-विमर्श में हिस्सा लेते हुये दत्त ने कहा कि कारगिल ने भारतीय फ़ौज को अचंभे में डाल दिया था कि हमारी सीमा के अंदर घुसपैठिए कैसे आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को टालने के लिए हमें ख़ुफिय़ा तंत्र और निगरानी के सांझे रास्ते विकसित करने पड़ेंगे जिससे अधिक से अधिक तैयारी को यकीनी बनाने हेतु हमारे सुरक्षा बलों को कार्यवाही करने योग्य जानकारी मुहैया करवाई जा सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा देश के लिए सबसे अधिक प्राथमिकता देने वाला और बुनियादी ढांचे की अपेक्षा कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण मसला है। इसलिए ख़ुफिय़ा प्रणाली को मज़बूत करने और इस मंतव्य के लिए सुरक्षा बलों के ऑपरेशन कमांडर को हर संदिग्ध गतिविधि से निपटने के लिए ज़रुरी साजो-समान की खरीद के लिए और ज्य़ादा बजट मंज़ूर करने की ज़रूरत है। एयर मार्शल त्यागी ने कारगिल जंग के वायु सेना के हमले की दो वीडियों प्रदर्शित की जिनमें उन्होंने खुलासा किया कि वायु सेना इतनी ऊँचाई पर ऑपरेशन करने के लिए उचित रूप में शिक्षित और हथियारों से लैस नहीं थी और हमारे लड़ाकू जहाज़(जैटस) भी कारगिल जैसी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं किये गए थे। उन्होंने कहा कि कारगिल समीक्षा कमेटी ने बताया कि हालात का सही स्तर तक मूल्यांकन करने के लिए फ़ौज ने बहुत लंबा समय लगा दिया, फिर जाकर एहसास हुआ कि स्थिति कितनी गंभीर है और ऑपरेशन को बुरी तरह प्रभावित करती है और एलओसी को पार न करने की रोक के कारण काम और भी चुनौतीपूर्ण हो गया था। यदि एलओसी पार करने की पाबंदी न होती तो कारगिल की लड़ाई 15 से 20 दिन पहले ख़त्म होनी थी। उन्होंने कहा कि कारगिल की लड़ाई ने दिखा दिया कि वायु ताकत को इस तरह की ऊँचाई पर प्रभावशाली ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है और यह भी पता लगा है कि फ़ौज के उचित प्रयोग और फ़ौज और वायु सेना के आपसी तालमेल से कम जानी नुकसान और ज़मीनी कार्यवाही को सफल बनाया जा सकता है। शर्मा वार्ता