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कर्नाटक उपचुनावों में बड़ी जीत के साथ विस में भाजपा का स्पष्ट बहुमत

बेंगलुरु, 09 दिसंबर (वार्ता) कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए अग्नि परीक्षा के रूप में देखे जा रहे राज्य विधानसभा की 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को शानदार प्रदर्शन करते हुए 12 सीटें जीतकर कांग्रेस और अन्य दलों का लगभग सफाया करने के साथ ही स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया।
कांग्रेस की झोली में केवल दो सीटें गयी हैं जबकि जनता दल (एस) का खाता भी नहीं खुल पाया है। एक सीट पर निर्दलीय विजयी हुआ है।
एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पतन के बाद श्री येदियुरप्पा ने इस वर्ष 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इन उपचुनावों में श्री येदियुरप्पा को अपनी सरकार के लिए साधारण बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम छह सीटों को जीतने की जरूरत थी। भाजपा ने उपचुनाव में बड़ी सफलता हासिल कर राज्य में स्थायी बहुमत वाली सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त कर लिया। यह उपचुनाव कर्नाटक विधानसभा के 15 अयोग्य ठहराए गए विधायकों के राजनीतिक भाग्य के लिए भी निर्णायक था। श्री येदियुरप्पा ने जीतने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देने का वादा किया है। पार्टी हाई कमान से हालांकि अभी इसकी मंजूरी लेनी होगी।
इस बीच कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्दारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने सोमवार को उप चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद इसकी जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
दोनों नेताओं ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस को उम्मीद के अनुरुप नतीजे नहीं मिलने पर वे अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं।
श्री सिद्दारमैया ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख उन पर भरोसा जताकर उन्हें कांग्रेस विधायक दल का नेता घोषित करने के लिए धन्यवाद दिया और उप चुनाव में हार की नैैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा दिया।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से श्री राव ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस महासचिव तथा कर्नाटक मामलों के प्रभारी के सी वेणुगोपाल राव को भेज दिया है। श्री राव ने कहा, “हम जनता के फैसले का सम्मान करते हैं। हमारी कोशिश के बावजूद जनता ने हमें नकारा। इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मैं अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं।”
निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार के कांग्रेस और जद (एस) के विधायकों को स्वीकार नहीं करने और उन्हें अयोग्य ठहराये जाने के बाद यह उपचुनाव महत्वपूर्ण माना जा रहा था। बाद में विधायकों ने अपने को अयोग्य ठहराये जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और शीर्ष अदालत से इन्हें उपचुनाव लड़ने की अनुमति मिली थी।
भाजपा गोकाक, येल्लापुर, रानीबेन्नूर, विजयनगर, चिकबल्लारपुर, महालक्ष्मी लेआउट, कृष्णाराजपेट, अथानी, कगवा हीरेकेरुर , यशंवतपुर और के आर पुर में विजय हासिल की ।
कांग्रेस शिवाजी नगर और हुनाशुरु में जीती है। होसाकोटे क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार शरद कुमार बचेगोड़ा ने 81 हजार 667 वोट हासिल कर भाजपा के नागराजू को हराया। नागराजू को 70183 वोट प्राप्त हुए हैं।
कर्नाटक विधानसभा में 224 सीटें हैं। सत्रह विधायकों को अयोग्य ठहराने जाने के बाद 207 सदस्य रह गए थे। इस लिहाज से बहुमत के लिए 104 सीटों की जरूरत थी। भाजपा के पास वर्तमान में 105 सीटों के अलावा एक निर्दलीय उम्मीवार का समर्थन प्राप्त था। पंद्रह सीटों पर उपचुनाव होने के बाद विधायकों की संख्या 222 हो जाती और ऐसी स्थिति में भाजपा को बहुमत के लिए 112 सदस्य चाहिए। भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम छह सीटों की जरूरत थी।
भाजपा को कुल प्राप्त मतों में आधे से अधिक 50.32 प्रतिशत वोट मिले हैं। कांग्रेस को 31.50 और जनता दल एस को 11.90 प्रतिशत वोटों से ही संतोष करना पड़ा है। करीब एक प्रतिशत शून्य दशमलव 94 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया जबकि बहुजन समाज पार्टी को शून्य दशमलव शून्य नौ प्रतिशत,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को शून्य दशमलव शून्य दो प्रतिशत और अन्य को 5.23 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं। उप चुनाव में 12 सीटें हासिल करने के बाद 224 सदस्यों वाले सदन में भाजपा के अब 117 सदस्य हो गए हैं और एक निर्दलीय सदस्य का समर्थन हासिल है।
पिछले साल मई में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन बहुमत से कुछ सीटें दूर रह गई। कांग्रेस दूसरे नंबर पर और जेडी (एस) तीसरे पायदान पर रही।
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति आने पर सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा की तरफ से श्री येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन वह बहुमत का आवश्यक आंकड़ा जुटाने में कामयाब नहीं हो सके और इस्तीफा देना पड़ा।
बाद में कांग्रेस और जेडी (एस) ने गठबंधन कर राज्य में सरकार बनाई लेकिन यह सरकार शुरुआत से हिचकोले खाती रही। कांग्रेस के पास 78 सदस्य थे। इसके बावजूद वह 37 सदस्यों वाली जेडी (एस) की अगुवाई में गठबंधन सरकार के लिए सहमत हुई। अटहत्तर सीटों के साथ कांग्रेस है जबकि जेडी (एस)37 सीटें जीतने में सफल हुई है।
श्री कुमारस्वामी वाली गठबंधन सरकार शुरू से ही अंतर्विरोध झेलती रहीं और अंतत: इस वर्ष जुलाई में कांग्रेस और जेडी(एस) के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और जेडी (एस) की अगुवाई वाली सरकार अल्पमत में आ गई। इस वर्ष 17 जुलाई को श्री कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और इसके बाद श्री येदियुरप्पा की अगुवाई में फिर सरकार गठित हुई।
कांग्रेस और जेडी (एस) से इस्तीफा देने वाले 17 विधायकों को लेकर भी कई दिन नाटक चला और मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा। बाद में उच्चतम न्यायालय ने अयोग्य ठहराये गए विधायकों को उपचुनाव लड़ने के लिए अनुमति दी और यह उपचुनाव हुए।
मिश्रा जितेन्द्र
वार्ता
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