Saturday, Apr 27 2024 | Time 16:49 Hrs(IST)
image
राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़


जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पर पांचवी बार जीत के लिए भाजपा ने बदली रणनीति

जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पर पांचवी बार जीत के लिए भाजपा ने बदली रणनीति

(अशोक टंडन से)

जांजगीर-चांपा,29 मार्च (वार्ता) छत्तीसगढ़ में एक समय कांग्रेस का गढ़ रहे जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पर चार बार जीत का परचम लहरा चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब पांचवी दफा जीत हासिल करना चाहती है और इसी रणनीति के तहत उसने इस बार छात्र राजनीति और सरपंच के रूप में अपनी राजनीति करियर की शुरुआत करने वाली कमलेश जांगड़े पर दांव आजमाया है।

दिलचस्प तथ्य यह भी है कि जांजगीर-चांपा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आठ विधानसभा सीट हैं और वर्तमान में इन सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस इस क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव को प्रदर्शन को आसन्न लोकसभा चुनाव में दोहरा पायेगी या भाजपा अपनी पांचवी जीत के सोपान काे पार करेगी।कांग्रेस ने यहां से डॉ. शिव कुमार डहरिया को चुनाव मैदान में उतारा है।

भाजपा ने अन्य संसदीय सीटों की तरह जांजगीर-चांपा सीट पर भी मौजूदा सांसद को दोबारा मौका न देते हुए नये चेहरे पर दांव खेला है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के गुंहाराम अजगले ने कांग्रेस के रवि भारद्वाज को 82 हजार से अधिक वोटों से हराकर जीत का चौका मारा था। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के दाउराम रत्नाकर तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा ने इस बार श्री अजगले का टिकट काटकर सक्ती विधानसभा क्षेत्र की कमलेश जांगड़े को उम्मीदवार बनाया है।

‘कोसा, कांसा और कंचन ’ के उत्पादन एवं व्यापार को लेकर विख्यात तथा हिन्दू पुराण के मुताबिक भगवान राम के वनवास काल मे शिवरीनारायण आगमन के दौरान शबरी भील द्वारा उन्हें जूठे बेर खिलाये जाने संबंधी कई प्राचीन धार्मिक एवं ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर प्रसिद्ध जांजगीर-चांपा क्षेत्र वर्ष 1952 में पहले आम चुनाव के दौरान संसदीय क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में नहीं था।

अविभाजित मध्य प्रदेश का हिस्सा रहे जांजगीर (अब छत्तीसगढ़) का 1957 के लोकसभा चुनाव के दौरान संसदीय क्षेत्र के रूप में गठन किया गया। वर्ष 1957 में लोकसभा सीट बनने के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस के सरदार अमर सिंह सहगल और मिनीमाता अगम दास गुरु (बलौदाबाजार) निर्वाचित हुयी। वर्ष 1962 के चुनाव में भी श्री सहगल और श्रीमती दास गुरु (बलौदाबाजार) से निर्वाचित हुई।

वर्ष 1967 और उसके बाद 1971 के आम चुनाव में जांजगीर(सु) लोकसभा सीट से श्रीमती दास गुरु ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लगातार जीत हासिल की। छत्तीसगढ़ में वर्ष 1973 में उनकी उस समय विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गयी, जब वह रायपुर से दिल्ली जा रही थीं और उनका विमान पालम हवाई अड्डे पर उतरने से पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उनकी मृत्यु के उपरांत रिक्त जांजगीर लोकसभा सीट के लिए 1974 में उपचुनाव हुए । उपचुनाव में कांग्रेस के ही भगतराम मनहर विजयी हुए।

आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में हुए आम चुनाव के दौरान जांजगीर लोकसभा सीट सामान्य श्रेणी में आरक्षित कर दी गयी। आपातकाल के विरोध में उठे देशव्यापी लहर का असर यहां भी पड़ा और कांग्रेस को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा। इस बार के चुनाव में जनता पार्टी के मदनलाल शुक्ला ने जीत हासिल की। इसके बाद जितने भी आम चुनाव हुए ,उसमें कांग्रेस और भाजपा दोनों के बीच शह और मात का खेल चलता रहा। वर्ष 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस के रामगोपाल तिवारी ने चुनाव जीता।

‘धान का कटोरा’ माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में जांजगीर-चांपा धान का एक प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है। जांजगीर-चांपा संसदीय क्षेत्र की कुल आबादी में एक तिहाई अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की है और यह वर्ग किसी भी राजनीतिक दल के लिए वोट बैंक के रूप में काफी अहमियत रखता है। अस्सी के दशक में दलित वर्ग के प्रमुख नेता रहे कांशीराम ने का ध्यान इस अनुसूचित जाति बहुल इलाके पर गया। इस वर्ग के उत्थान के उद्देश्य को लेकर बसपा का गठन करने से पहले उन्होंने डी-एस फोर और उसके बाद बामसेफ संगठन को आकार दिया था। श्री कांशीराम ने अनुसूचित जाति के वोट बैंक का लाभ उठाने के लिए वर्ष 1984 में अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव जांजगीर लोकसभा से लड़ा। इस चुनाव में हालांकि किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के प्रभात कुमार मिश्र ने यह चुनाव जीता।

वर्ष 1989 में जांजगीर लोकसभा सीट पर भाजपा ने जशपुर क्षेत्र के लोकप्रिय नेता दिलीप सिंह जूदेव पर दांव खेला और यह सफल भी रहा, लेकिन 1991 में कांग्रेस के भवानीलाल वर्मा ने भाजपा से यह सीट छीन ली। वर्ष 1996 में भाजपा के मनहरण लाल पांडेय विजयी हुए। इसके बाद 1998 में कांग्रेस ने यह सीट पुन: हथियाई और 1999 में भी अपना कब्जा बरकरार रखा। दोनों आम चुनाव में कांग्रेस के चरणदास महंत निर्वाचित हुए।

एक नवम्बर 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2004 में आम चुनाव हुए। भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया और जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पर एक बार फिर अपना कब्जा किया। बदली परिस्थिति में श्रीमती शुक्ला अब कांग्रेस में है। इसके बाद वर्ष 2009 और 2014 में यहां से लगातार दो आम चुनाव जीतकर भाजपा ने हैट्रिक बनायी। इन दोनों चुनावों में भाजपा की श्रीमती कमला पाटले ने जीत का परचम लहराया है।

जांजगीर-चाम्पा संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें अकलतरा, चंद्रपुर, बिलाईगढ़(सु),जांजगीर-चांपा, जयजयपुर, कसडोल, सक्ती और पामगढ़(सु) शामिल है। संयोग से वर्तमान में इन सभी आठ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।

जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र में गत 16 मार्च की स्थिति में कुल मतदाताओं की संख्या 20 ,52,063 है जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10,30,262 और महिला मतदाताओं की संख्या 10,21,754 है।

अशोक,आशा

वार्ता

image