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जन औषधि केन्द्रों में अनियमितता में केन्द्र, राज्य एवं रेडक्रास से मांगा जवाब

नैनीताल, 08 जुलाई (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल जनपद में सरकारी अस्पतालों में मौजूद प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्रों में व्याप्त अनियमितताओं के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए बुधवार को केन्द्र एवं राज्य सरकार के साथ-साथ भारतीय रेडक्राॅस समिति की देहरादून एवं नैनीताल इकाई को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के अंदर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने हल्द्वानी निवासी अमित खोलिया की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किये हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली की ओर से कहा गया कि नैनीताल जनपद की गरीब जनता को प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। नैनीताल जनपद में सरकारी अस्पतालों में जनऔषधि केन्द्रों को चलाने की जिम्मेदारी 2017 से भारतीय रेडक्रास सोसाइटी को सौंपी गयी है।
इन केन्द्रों के संचालन के लिये सोसाइटी को सब्सिडी और अन्य सुविधायें मुहैया करवाई गयी हैं। श्री मैनाली ने बताया कि इन केन्द्रों में तमाम तरह की अनियमिततायें पाई गई हैं। इनमें न तो सस्ती जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध रहती हैं और न ही किसी प्रकार का दस्तावेजीकरण किया जाता है। यह हाल तब है जब जिलाधिकारी सबिन बसंल खुद जिला रेडक्राॅस सोसाइटी के अध्यक्ष हैं।
श्री मैनाली की ओर से अदालत को यह भी बताया गया है कि वर्ष 2019 में गठित जांच समिति की ओर से यह भी साबित हो गया है कि इन केन्द्रों में तमाम तरह की अनियमिततायें मौजूद हैं। जांच समिति ने चार प्रमुख सरकारी अस्पतालों में मौजूद जन औषधि केन्द्रों का निरीक्षण किया और पाया कि इन केन्द्रों में प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। समिति अपनी जांच में इन केन्द्रों के लाइसेंस निरस्त करने की सिफारिश कर चुकी है।
अधिवक्ता ने बताया कि जांच समिति की सिफारिश के बाद नैनीताल स्थित बीडी पांडे जिला अस्पताल का लाइसेंस निरस्त किया गया है लेकिन लोगों की सुविधा के लिये नये जन औषधि केन्द्र नहीं खोला गया है। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कोविड-19 महामारी के दौरान जनता को केन्द्र सरकार की सस्ती दवाइयों व अन्य जीवन रक्षक दवाइयों का लाभ नहीं मिल सका है जबकि केन्द्र सरकार की ओर से सस्ती दवाइयां एवं अन्य आवश्यक सामान उपलब्ध कराया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि केन्द्र सरकार इन केन्द्रों को नौ बार नोटिस भी जारी कर चुकी है।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से मांग की गयी है कि इन जन औषधि केन्द्रों एवं जिला रेडक्राॅस समिति की जांच की जाये और जो चिकित्सक जेनरिक दवाइयों की संस्तुति नहीं करते हैं उनके खिलाफ कार्यवाही अमल में लायी जाये।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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