राज्य » अन्य राज्यPosted at: Feb 22 2020 4:32PM टम्टा ने पदोन्नति आरक्षण मामले में उत्तराखंड सरकार की दलील पर सवाल उठाये
हल्द्वानी, 22 फरवरी (वार्ता) कांग्रेस नेता एवं सांसद प्रदीप टम्टा ने पदोन्नति में आरक्षण मामले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष दी गई उत्तराखंड सरकार एवं अपीलकर्ताओं के वकीलों की दलीलों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आरक्षण विरोधी एजेंडे को मूर्त रूप देने की एक साजिश है।
श्री टम्टा ने शनिवार को यहां राज्य अतिथि गृह में यूनीवार्ता से बातचीत में न्यायालय के फैसले के पैरा आठ में वर्णित अधिवक्ताओं की दलीलों को इंगित करते हुए कहा कि इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश होने वाले अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अन्य अधिवक्ता के अलावा सामान्य वर्ग के कर्मचारियों का पक्ष रखने वाले रंजीत सिंह ने भी न्यायालय के समक्ष यह दलील दी है कि नियुक्ति और पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है तथा आरक्षण देना राज्य सरकार का कोई संवैधानिक कर्तव्य नहीं बनता है।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने न्यायालय में जो कहा वहीं अब उन्हें सार्वजनिक रूप से भी कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16(4)में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को नियुक्ति में आरक्षण और अनुच्छेद 16(4)(ए) में इस वर्ग के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान है।
उन्होंने कहा यदि भविष्य में कांग्रेस को राज्य में सरकार बनाने का अवसर मिलता है तो आरक्षण रोस्टर में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को छठे से पहले क्रम में रखने तथा पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था को तत्काल लागू करने के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है।
श्री टम्टा ने राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य के आरक्षण रोस्टर परीक्षण के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक का बहिष्कार करने के फैसले को एक राजनीतिक प्रपंच बताया और कहा कि यदि श्रीमती आर्य सरकार के कदम से नाराज हैं तो उन्हें तत्काल मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए।
सं.उप्रेती.श्रवण
वार्ता