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देश में आलू उत्पादन तो बढ़ा,लेकिन किसान को नहीं मिला लाभ

देश में आलू उत्पादन तो बढ़ा,लेकिन किसान को नहीं मिला लाभ

लखनऊ,06 दिसम्बर (वार्ता) आजादी के बाद देश में आलू के उत्पादन में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है,लेकिन उचित विकास नहीं होने के कारण किसानों को इसका लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के संयुक्त तत्वाधान में आज यहां आयोजित एक दिवसीय ब्रेन स्टार्मिंग सत्र में आलू से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि आलू का उत्पादन तो बढ़ा लेकिन इस का लाभ किसान को नहीं मिल पा रहा है।

ब्रेन स्टार्मिंग सत्र की शुरुआत करते हुए केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के विभागाध्यक्ष डा. बृजेश सिंह, ने कहा कि मुख्य फसल होने के बावजूद भी आलू को उपयुक्त स्थान नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि आजादी के समय से अब तक आलू के उत्पादन में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन उचित विकास नहीं होने के कारण किसानों को इसका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में 52 मिलियन टन आलू का उत्पादन हो रहा है, लेकिन इसके उपभोग की सीमाएं हैं। जिस गति से आलू के प्रसंस्करण में वृद्धि होनी चाहिए वह नहीं है। उत्तर प्रदेश में 15 मिलियन टन आलू का उत्पादन होता है लेकिन प्रसंस्करण इकाईयाॅ नहीं होने के कारण आलू का उपयोग नहीं हो पा रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महानिदेशक, उपकार डा.बिजेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में 15 मिलियन टन आलू का उत्पादन हो रहा है जबकि केवल नौ मिलियन टन का ही उपयोग हो पा रहा है जबकि 5-6 मिलियन टन का आधिक है जिसके कारण किसानों को उचित मूल्य प्राप्त नहीं हो पा रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने आलू में मूल्य

संवर्धन करने के साथ-साथ मार्केट इन्टेलीजेन्स विकसित करने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि विविधीकरण कर हम आलू के स्थान पर मक्का ले सकते है। साल भर आलू के मूल्य को विनियमित किये जाने पर उन्होंने जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज इस ब्रेन स्टार्मिंग सत्र में इस प्रदेश के ही नहीं बल्कि देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक भाग ले रहे है।

त्यागी

जारी वार्ता

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