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निकाय चुनावों में भाजपा सफल, मतदाताओं ने लगायी मुहर

नैनीताल, 21 नवंबर (वार्ता) उत्तराखंड में निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के कार्यों पर मतदाताओं ने अपनी मुहर लगायी। चुनाव परिणामों से भाजपा जहां गद्गद् दिखायी दे रही वहीं पार्टी को 2019 में होने वाले आम चुनावों को लेकर रास्ता आसान होता दिखाई दे रहा है।
भाजपा ने कुमाऊं मंडल में बेहतरीन प्रदर्शन किया। यहां पार्टी ने तीनों बड़े नगर निगमों पर कब्जा जमा लिया है। राजनीति के प्रमुख गढ़ माने जाने वाले हल्द्वानी नगर निगम पर भी भारतीय जनता पार्टी ने दूसरी बार कब्जा जमाया है। वह भी भारी अंतर से।
यहां सरकार ने विधानसभा में विपक्ष की नेता व कांग्रेस की प्रमुख नेता इंदिरा हृदयेश को झटका दिया है। इंदिरा हृदयेश यहां अपने सुपुत्र सुमित हृदयेश को हार से नहीं बचा पायी। यहां न केवल इंदिरा हृदयेश बल्कि कांग्रेस की साख दाव पर लगी हुई थी। भाजपा के जोगेन्द्र रौतेला ने इंदिरा हृदयेश के सुपु़त्र सुमित को यहां दस हजार से अधिक मतों से हराया है।
इसके साथ ही मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी के नारे पर भी मुहर लगा दी है। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान यहां नारा दिया था केन्द्र में नरेन्द्र, प्रदेश में त्रिवेन्द्र एवं निगम में जोगेन्द्र।
आज देर रात को आये परिणाम के बाद कांग्रेस खेमे में निराशा छायी है। मतदाताओं ने यहां वंशवादी राजनीति पर भी जोरदार प्रहार किया है। इसके बाद कयास लगाये जा रहे हैं कि यहां से सुमित हृदयेश की राह आगे के लिये आसान नहीं होगी। इंदिरा हृदयेश निगम के बहाने सुमित के लिये प्रदेश की राजनीति का रास्ता खोजना चाहती थी।
भाजपा ने न केवल हल्द्वानी बल्कि काशीपुर व रूद्रपुर नगर निगम पर भी जोरदार प्रदर्शन किया है। जहां तक प्रदेश का सवाल है पार्टी ने सात में से कुल पांच निगमों पर कब्जा जमाया है। यहां उसके प्रत्याशी जीते हैं। देहरादून नगर निगम पर सुनील उनियाल गामा बहुत बड़े अंतर से विजयी हुए हैं।
कुमाऊं में नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों के मामले में भाजपा की स्थिति मिली जुली रही है। यहां पार्टी को 12 नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में सफलता मिली जबकि कांग्रेस को 11 व 10 पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपना परचम लहराया है।
निकाय चुनावों को त्रिवेन्द्र सरकार के लिये परीक्षा की घड़ी मानी जा रही थी। त्रिवेन्द्र के धुर विरोधी भी इस मौके पर नजरें गड़ाये थे लेकिन माना जा रहा है कि जनता ने उन्हें फिलहाल पास कर दिया है। हालांकि वे अपनी विधानसभा में अपने ही प्रत्याशी को जीत नहीं दिला पाये, ये भी सबसे बड़ा सवाल है? इसी प्रकार प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के गृह क्षेत्र रानीखेत में भी भाजपा को किरकिरी झेलनी पड़ी है। रानीखेत-चिलियानौला नगर पालिका अध्यक्ष पद पर भी पार्टी अपने प्रत्याशी विमला आर्य को जीता नहीं पायी और यहां एक निर्दलीय प्रत्याशी ने पार्टी को शिकस्त दी।
जहां तक सरकार के कार्यों का प्रश्न है सरकार ने छोटे से कार्यकाल में बहुत अधिक उल्लेखनीय सफलता तो हासिल नहीं की है लेकिन भ्रष्टाचार को बर्दाश्त न करने की सरकार की ओर से अपनायी गयी नीति ने लोगों को अपनी ओर खींचा है।
सं,नीरज
वार्ता
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