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नागरिकता बिल का समर्थन करने से पहले जदयू को वर्ष 2015 याद कर लेना चाहिए : प्रशांत

नागरिकता बिल का समर्थन करने से पहले जदयू को वर्ष 2015 याद कर लेना चाहिए : प्रशांत

पटना 11 दिसंबर (वार्ता) नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में मचे घमासान में आज एक नया मोड़ तब आ गया जब पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि इस विधेयक का समर्थन करने से पहले जदयू के शीर्ष नेतृत्व को उन लोगों को जरूर याद कर लेना चाहिए, जिन्होंने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी पर भरोसा जताया था।

जदयू प्रदेश अध्यक्ष श्री सिंह ने इस विधेयक का लोकसभा में पार्टी के समर्थन से श्री किशोर और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा की नाराजगी पर आज कहा कि इस विधेयक पर जदयू का रुख बिल्कुल स्पष्ट है। पार्टी लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी विधेयक का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि जब पार्टी का रुख साफ है तो किसी भी पद पर बैठे लोगों के बयान का कोई अर्थ नहीं है। महत्वपूर्ण वही है जो लोकसभा में सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा है। पार्टी लाइन से अलग हटकर बयानबाजी करने वालों के ये निजी विचार हो सकते हैं। इससे पार्टी को कोई लेनादेना नहीं है।

इस पर श्री किशोर ने आज ट्वीट कर कहा, “नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने से पहले जदयू नेतृत्व को उन लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए, जिन्होंने वर्ष 2015 में जदयू पर भरोसा जताया था। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी और उसके प्रबंधकों के पास जीत के बहुत अधिक रास्ते नहीं बचे थे।”।

इससे से पूर्व लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन करने से नाराज श्री किशोर ने ट्वीट कर कहा था, “धर्म के आधार पर नागरिकों के बीच भेदभाव करने वाला नागरिकता संशोधन विधेयक पर जदयू के समर्थन से मैं दुखी हूं। जदयू के द्वारा इस विधेयक का समर्थन पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता है, जहां पहले ही पन्ने पर धर्मनिरपेक्षता शब्द तीन बार लिखा हुआ है।

सूरज शिवा

जारी (वार्ता)

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