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न्यायालय ने तीन हत्यारोपियों की आजीवन कारावास सजा को किया रद्द

प्रयागराज,19 नवम्बर (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हमीरपुर के राठ के निवासी राजू तेली, लल्लू उर्फ लाल दीवान एवं भूपेन्द्र यादव को हत्या एवं षड्यंत्र के आरोप में सुनाई गयी आजीवन कारावास और दस हजार जुर्माने की सजा को रद्द कर दिया है।
विशेष न्यायाधीश (एस.सी.एस.टी) हमीरपुर ने इन तीनों को हत्या का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनायी थी। उच्च न्यायालय ने तीनों आरोपियों को बरी करते हुए दोषमुक्त करार दिया है। राजू तेली एवं लल्लू जमानत पर है। न्यायालय ने उन्हें समर्पण न करने का आदेश देते हुए जमानत बाण्ड निरस्त कर दिया है और जेल में बन्द भूपेन्द्र यादव को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है।
न्यायालय ने कहा है कि घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था और न/न ही कोई ठोस साक्ष्य उपलब्ध है। अभियोजन की कहानी से आरोपियों का दोष साबित नहीं होता है। ऐसे में बिना ठोस साक्ष्य के अधीनस्थ न्यायालय द्वारा सुनाई गयी सजा निरस्त होने योग्य है।
न्यायमूर्ति आर.एस.आर मौर्या तथा न्यायमूर्ति यू.सी त्रिपाठी की खण्डपीठ ने सजा के खिलाफ अपीलों को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। अपील पर अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा ने बहस की।
गौरतलब है कि 17 नवम्बर 1992 को राठ में सुबह नौ बजे रवि प्रकाश गुटखा खरीदने दुकान पर गया था तो तीनों ने उन पर फायरिंग कर दी। जिससे मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गयी। पुलिस का कहना है कि रवि प्रकाश के भाई ओम प्रकाश ने भूपेन्द्र यादव के खिलाफ खबर छापी थी। जिसका बदला लेने के लिए उन्होंने भाई की हत्या कर दी। हत्या की घटना का कोई गवाह नहीं था। खबर छपने पर हत्या की कहानी में हत्या का कारण स्पष्ट नहीं होता। मृतक के शरीर पर तीन गोली लगी पायी गई। तीन आरोपियों द्वारा एक फायर करने की कहानी विश्वसनीय नहीं लगती।
न्यायालय ने कहा अधीनस्थ न्यायालय ने साक्ष्यों पर विचार किये बगैर हत्या का दोषी करार दिया है, जो कानून के विपरीत है।
सं दिनेश तेज
वार्ता
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