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पिता नहीं जीत सके कोई चुनाव, बेटा लहराता रहा जीत का परचम

( अशोक टंडन से )
बिलासपुर 19 नवंबर (वार्ता) अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के इतिहास में एक दिलचस्प अध्याय ऐसा भी रहा है जिसमें पिता के खाते में एक भी चुनावी जीत दर्ज न हो सकी जबकि बेटा चार-चार चुनाव जीतने के बाद अब पांचवीं बार चुनाव मैदान में है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता रहे दिवंगत लखीराम अग्रवाल ने तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था और तीनों ही बार उन्हें शिकस्त मिली। वर्ष 1962 में श्री लखीराम अग्रवाल ने अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा। कांग्रेस के किशोरी मोहन त्रिपाठी ने यह चुनाव जीता।
वर्ष 1977 में वह सरिया निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन इस बार भी कांग्रेस के नरेश चंद्र की जीत हुई। श्री लखीराम अग्रवाल ने वर्ष 1990 में खरसिया सीट से भाग्य आजमाया लेकिन किस्मत ने इस बार भी उन्हें दगा दे दिया और वह कांग्रेस के नंद कुमार पटेल से चुनाव हार गये।
समय के बदलते दौर में श्री लखीराम अग्रवाल के पुत्र अमर अग्रवाल ने चुनावी बिसात संभाली। बिलासपुर में भारतीय युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष के रूप में राजनीति में कदम रखने वाले श्री अमर अग्रवाल 1998 के विधानसभा चुनाव में बिलासपुर सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस उम्मीदवार अनिल टाह को हराया। इस जीत के बाद फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
टंडन.श्रवण
जारी वार्ता
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