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प्रदेश में अति वर्षा और बाढ़ प्रभावितों को तत्परता से राहत: शर्मा

भोपाल, 18 सितंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने प्रदेश में अति वर्षा और बाढ़ की स्थिति के संदर्भ में कहा है कि राज्य सरकार राहत एवं बचाव कार्यों पर अब तक 325 करोड़ रूपये व्यय कर चुकी है। राहत और बचाव कार्य के साथ ही प्रभावितों को राहत कार्य निरंतर जारी है।
श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश के प्रशासनिक अमले और आपदा प्रबंधन एजेन्सियों ने अति वर्षा और बाढ़ की स्थिति में लोगों की सुरक्षा के लिये पूरी मुस्तैदी से काम किया है और कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाँधी सागर बाँध से भी न्यूनतम समय में संबंधित शासकीय अमले और एजेन्सियों ने बाँध से पानी निकालने का काम किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार से अति वर्षा और बाढ़ की स्थिति से हुए नुकसान और प्रभावितों को राहत पहुँचाने के लिये अधिकतम सहायता का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि आपदा की इस घड़ी में प्रदेश से निर्वाचित केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिख रहे हैं, जबकि उन्हें प्रधानमंत्री को अधिकतम सहायता देने के लिये पत्र लिखना चाहिए। श्री शर्मा ने माँग की है कि प्रदेश में अति वर्षा और बाढ़ से हुई जन, पशु, फसल और भौतिक अधोसंरचनाओं को भारी पैमाने पर हुई क्षति पर 11 हजार 881 करोड़ की सहायता तत्काल मुहैया कराना चाहिए।
श्री शर्मा ने कहा कि इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार द्वारा रोके गये 10 हजार करोड़ और गुजरात से बकाया 10 हजार करोड़ रूपये भी केन्द्र सरकार जारी करे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा प्रदेश के उच्च स्तरीय प्रशासनिक अमले के साथ निरंतर अति वर्षा और बाढ़ की स्थिति की राउंड द क्लॉक मॉनीटरिंग की गई और की जा रही है। मुख्यमंत्री के कुशल और कल्पनाशील मार्गदर्शन में अति वर्षा और बाढ़ प्रभावित लगभग 50 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया।
जनसम्पर्क मंत्री ने बताया है कि गाँधी सागर बाँध का जायजा लेने आये केन्द्रीय जल आयोग के दल ने भी मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग की तारीफ, खासतौर से गाँधी सागर बाँध से समय पर जल निकासी, की तारीफ की है। केन्द्रीय दल ने सही समय पर सुविचारित कदम उठाये जाने के लिये जल संसाधन विभाग के अमले और संबंधित एजेन्सियों की प्रशंसा की है।
मध्यप्रदेश में एक जून 2019 से 17 सितंबर 2019 की अवधि में प्रदेश में 1192.2 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है। यह एल.पी.ए ( दीर्घकालीन वार्षिक वर्षा) के इस अवधि के औसत से 33 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश के 13 जिलों में (सभी पश्चिमी और मध्य क्षेत्र) एल.पी.ए. से 60 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। कुल 3 जिलों मंदसौर, आगर, नीमच में उनके एल.पी.ए. से दोगुनी वर्षा दर्ज की गई है।
प्रदेश के राजगढ़, रायसेन, विदिशा, खण्डवा, रतलाम, हरदा, मंडला, बालाघाट, सिवनी, सागर, मंदसौर, उज्जैन, आगर, नीमच, भोपाल, शाजापुर, नरसिंहपुर, देवास, मुरैना, श्योपुर, भिण्ड, निवाड़ी, सीहोर और अशोकनगर में अतिवर्षा से गंभीर स्थिति पैदा हुई है। इन जिलों में अति वर्षा से विभिन्न बांधों/जलाशयों से पानी की निकासी अथवा नदियों के बैकवाटर से ज्यादा पानी के प्रवाह से स्थिति गंभीर हुई है। अकेले मंदसौर जिले में गांधी सागर बांध में 16 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह हुआ, जबकि बांध का अधिकतम जल निकासी स्तर (आउट फ्लो) 6.6 लाख क्यूसेक पानी है।
इस स्थिति के उत्पन्न होने से बांध के सभी 19 गेट खोले गये हैं। इसके अलावा इंदौर संभाग के बड़वानी, धार और अलीराजपुर जिले सरदार सरोवर परियोजना के अप्रत्याशित बढ़े हुए जल-स्तर से प्रभावित हुए हैं।
प्रदेश के 28 बड़े बांधों में से 17 बांध के गेट वर्तमान में खुले हुए हैं। प्रदेश के अधिकांश जलाशय अपनी जल संग्रहण क्षमता से सौ फीसदी जल के साथ पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) पर है। प्रदेश की अधिकांश नदियाँ पिछले दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और अभी भी खतरे के निशान से ऊपर ही बह रही है। प्रदेश में आने वाले समय में अब अधिक वर्षा की स्थिति नहीं बन रही है।
प्रदेश के कुल 52 जिलों में से 36 अति वर्षा से प्रभावित हुए हैं। तहसील स्तर पर देखा जाये तो प्रदेश की 385 ग्रामीण तहसीलों में से 186 ग्रामीण तहसील अति वर्षा से प्रभावित हुई है। इसी तरह प्रदेश के 52 हजार गाँवों में से लगभग 8000 गाँव अति वर्षा से प्रभावित हुए हैं। अति वर्षा और बाढ़ से हुई जनहानि और पशुहानि के प्रकरणों में एस.डी.आर.एफ. के मानदण्डों से अनुरूप राहत राशि का वितरण तत्काल किया जा रहा है।
बघेल
जारी वार्ता
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