शामली 25 मई (वार्ता) चीनी मिलों के नखरे और बकाया भुगतान में हीलाहवाली से परेशान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान परंपरागत गन्ने की खेती को छोड़कर नगदी फसल में गिनी जाने वाली तरबूज की पैदावार की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
किसानो का कहना है कि गन्ने की पैदावार से तरबूज कम से कम चार गुना अधिक मुनाफे का सौदा है और इसकी एवज में उन्हे भुगतान के लिये चीनी मिलों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ते बल्कि खेत में ही उनको अपनी पैदावार की बाजिव कीमत मिल जाती है।
शामली में गन्ने की कम होती पैदावार और भुगतान में होने वाली परेशानियों को देखते हुए अब किसान विदेशी तरबूज की खेती कर रहे है जिससे उनको चार गुणा मुनाफा तो हो ही रहा है, साथ में फसल की कीमत नगद के रूप में मिलने से उनके चेहरे खिल उठे है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना की फसल को अधितकर किसान बोते है, लेकिन गन्ना शुगर मिलों में जाने के बाद भी किसानों को लगातार अपने भुगतान लेने के लिए आन्दोलन करना पडता है जिसके बाद ही किसानों को फसल का वाजिब दाम मिल पाता है। किसानों की समस्याओं को देखते हुए योनिनसिड कंपनी ने जिले के किसानों को तरबूत की खेती करने के लिए प्रेरित किया है।
जिले के गांव कसेरवा खुर्द निवासी अखिल देशवाल अपनी आठ बीघा जमीन में पांच तरह के तरबूतों की खेती कर रहे है। निखिल बताते है कि वो पेशे से एक वकील है और दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रेक्टिस करते है, लेकिन सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार अपने गांव में आकर खेती करते है। इस बार उन्होने पांच तरह से तरबूज लगाये है, जिसमें पीला, लाल, हरा, काला, शुगर फ्री तथा आम दिनों में चलने वाला तरबूज लगाया है।
उन्होने बताया कि वह यदि गन्ना लगाते है तो उनको मात्र 26 हजार रूपये बीघा की फसल का मूल्य बच पाता है, लेकिन तरबूज लगाने से वह 60 से 65 हजार रूपये प्रति बीघा कमा रहे है। लॉक डाउन के कारण वैसे तो तजबूज दूसरे राज्यों में नही जा पाया, लेकिन उसके बावजूद भी शामली मंडी में उनके खास तरबूज की विशेष डिमांड है।
योनिनसिड कंपनी के टैक्नीशियन ने किसानों की फसल का निरीक्षण कर कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका के चलते फसल को खेतों से ही बेचे जाने की अपील की है ताकि किसान मंडियों में जाने से बच सके। कंपनी के टैक्नीशियन दिनेश शर्मा ने उनके खेतों में पहुंचकर फसल का निरीक्षण किया और कंपनी द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में बताया। उन्होने बताया कि देशभर में कोरोना महामारी का प्रकोप व्याप्त है, जिसके चलते किसान मंडी में न जाये और खेतों से ही सीधा अपने फसलों को बेचने का काम करे ताकि वह कोरोना के संक्रमण से बच सके।
सं प्रदीप
वार्ता