राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jan 23 2019 2:36PM राष्ट्रीय चंबल सरसों दो इटावासरसों की बंपर पैदावार ने जिले से सटे भिंड, मुरैना और श्योपुर जिले की धरती पर लगे डकैती के कलंक को काफी हद तक धो दिया है। चंबल घाटी में कुल उपजाऊ भूमि से तीन लाख अस्सी हजार हैक्टेयर पर इस वर्ष सरसों का उत्पादन हो रहा है। मुरैना के किसान जहां 1.53 लाख हैक्टेयर खेत में पीला सोना उगा रहे हैं वहीं भिंड में एक लाख अस्सी हजार हैक्टेयर और श्योपुर जिले में पचास हजार हैक्टेयर रकबे में तीस क्विंटल तक सरसों की पैदावार मिलने की संभावना है। जिले की चकरनगर तहसील मे भी किसानों ने बडे स्तर पर सरसों की फसल को उगा रखा है । भिंड जिले के कनावर गांव के रामसजीवन बताते है “ हम लोग अपने खेतो मे सरसो की फसल को इसलिए उगा रहे क्योंकि सरसों में बहुत अधिक लागत नही आ रही है और फायदा भी बहुत अधिक हो रहा है इसी कारण सरसो की फसल को पैदा किया जा रहा है। इस प्रकार लाखों क्विंटल पीले सोने के उत्पादन की उम्मीदों से लालायित होकर किसान और सरकार बेहद खुश हैं । सरसों के बेशुमार उत्पादन से चंबल के किसान की गृहस्थी का साल भर का गुजारा चलता है। जाड़ों के मौसम में एक पखवाड़ा ऐसा आता था जब चंबल और क्वारी नदी के आसपास के क्षेत्र सोंहा के पीले फूलों से ढंक जाते थे। दूर से देखने पर मालूम होता था जैसे सोना पानी बनकर नदी में बह रहा हो लेकिन डाकू समस्या के छंटने और ट्यूबवेल नहरों के मार्फत माकूल सिंचाई का इंतजाम हो जाने से सोंहा की जगह आहिस्ता-आहिस्ता सरसों ने ले ली ।सं प्रदीपजारी वार्ता