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सौ साल पुरानी मुंबई की इमारत को ढहाने की मंजूरी

मुंबई, 16 अगस्त (वार्ता) बंबई उच्च न्यायालय ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को दक्षिणी मुंबई में एक सदी पुरानी जर्जर इमारत को गिराने की मंजूरी दे दी है और इसमें रहने वालों को परिसर खाली करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति आर डी धानुका और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने बीएमसी तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) के फैसले को बरकरार रखा कि इमारत जर्जर और खतरनाक स्थिति में है और इसे तोड़ा जाना है। न्यायालय ने कहा कि इमारत 'एच एन पेटिट विडोज होम' एक व्यस्त सड़क पर स्थित है और किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में इससे जानमाल का नुकसान हो सकता है।
रिपोर्ट के आधार पर बीएमसी ने नोटिस जारी कर किरायेदारों को परिसर खाली करने को कहा है। इमारत के रहने वाले कुछ लोगों और इसके भूतल पर दुकानें चलाने वाले किरायेदारों ने खाली करने से इनकार कर दिया और यह तर्क देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया कि इमारत को केवल मामूली मरम्मत की आवश्यकता है।
भूतल के अलावा पांच मंजिल की यह इमारत एक सौ साल से अधिक पुरानी है। इसका उपयोग विधवाओं को आवास की सुविधा प्रदान करने के लिए किया जाता था। भवन की खराब स्थिति के कारण वहां रहने वाली विधवाओं को 2019 में दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया।
बीएमसी को ढांचे को ध्वस्त करने की अनुमति देते हुए न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि टीएसी ने अपनी राय सही ढंग से बनाई है और कहा कि वह अलग राय बनाने के लिए इच्छुक नहीं है।
पीठ ने कहा, “अगर इस इमारत को बनाए रखने की अनुमति दी जाती है, अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो न केवल इमारत में रहने वालों बल्कि राहगीरों की भी जान चली जाएगी।”
न्यायालय ने आगे कहा कि जिस भूखंड पर इमारत खड़ी है, वह भी प्रस्तावित मेट्रो रेल संरेखण से सटा हुआ है और स्टेशन क्षेत्रों के प्रभाव क्षेत्र में आता है। अगर इमारत को गिरा दिया जाता है और उसका पुनर्निर्माण नहीं किया जाता है, तो किरायेदारों के पास कानून में एक वैकल्पिक उपाय है। वह याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को स्वीकार नहीं कर सकती है क्योंकि इमारत की मरम्मत के लिए भूतल पर रहने वाले किरायेदार हैं यह उनके हितों की रक्षा करेगा लेकिन इमारत के मकान मालिक और अन्य रहने वालों के अधिकारों की अनदेखी करेगा।
अदालत ने रहने वालों को तीन सप्ताह के भीतर परिसर खाली करने का निर्देश दिया ताकि इमारत को तोड़ा जा सके। अदालत ने कहा कि अगर कब्जाधारियों ने परिसर खाली नहीं किया, तो बीएमसी जबरन कब्जा कर इसे ध्वस्त कर सकती है।
सैनी अशोक
वार्ता
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