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सरसों की बंपर पैदावार से चंबल ने ओढ़ा बसंती चोला

सरसों की बंपर पैदावार से चंबल ने ओढ़ा बसंती चोला

इटावा, 23 जनवरी (वार्ता) दुर्दात दस्यु गिरोह की पनाहगार के तौर पर दशकाें तक कुख्यात रही चंबल घाटी में चहुंओर लहलहा रही सरसों की फसल बसंत ऋतु के शीघ्र आगमन का संदेश दे रही है।

चंबल घाटी की लाखों हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि पर लहलहा रही सरसों की फसल से हर खेत इन दिनों बंसती रंग से पुता नजर आ रहा है। एक समय था जब चंबल मे डाकुओं के भय से इलाके के खेत खलिहान बंजर पड़े रहते थे। कोई किसान यदि फसल उगाने की भी कोशिश करता था तो उसे दस्यु दल उजाड़ दिये करते थे।

जिला कृषि अधिकारी अभिनंदन यादव ने बुधवार को यूनीवार्ता से कहा कि सरसों कम लागत मे पैदा होने वाली फसल है। बेहद कम पानी के बावजूद यह फसल फूलती फलती है जिससे किसानो काे खासा फायदा होता है। पानी की कमी वाले स्थानों पर सरसों की फसल को उपजा करके किसान को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाया जा सकता है। इटावा जिले में 18093 हेक्टेयर जमीन पर सरसों की फसल को यहां के किसान पैदा कर रहे है ।

उन्होने बताया कि राई सरसों में माहूं कीट के लगने की शंकाए बनी हुई है। यह कीट छोटा एवं कोमल शरीर वाला हरे मटमैले भूरे रंग का होता है, इसके झुण्ड पत्तियों, फूलों, डन्ठलों तथा फलियों आदि पर चिपके रहते है एवं रस चूसकर पौधौ को कमजोर कर देते है। इस कीट की रोकथाम के लिये किसान नीम ऑयल 0.015 प्रति. की 600 मिली या डाइमेथिओएट 30 प्रति. की 400 मिली. अथवा क्लोरपायरीफास की 400 मिली. मात्रा को 300 से 350 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग कर सकते हैं।

सं प्रदीप

जारी वार्ता

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