मऊ 17 नवम्बर (वार्ता) जमीयते उलेमा हिंद के महासचिव महमूद असअद मदनी ने कहा है कि मुसलमानों ने अपने किरदार को तरक्की के हर मुद्दे पर बखूबी निभाया है। आज फिर वक्त आ गया है,जब हालात का सामना करने के लिए मुसलमानों को किरदार बदलने की जरूरत है।
श्री मदनी ने शुक्रवार देर शाम मुस्तफाबाद सहन में सांप्रदायिकता तथा कौमी एकता विषयक कार्यक्रम में शिरकत करते हुये कहा “ मुसलमान वह कौम है जो 70 वर्ष पूर्व ना के बराबर थी, लेकिन आज एक मुकाम पर है। कारण, एक जमाना था जब जनाजे की नमाज पढ़ने के लिए मौलवी नहीं मिलते थे, उस दौर में लाशें सड़ जाया करती थी और बिना जनाजे की नमाज के ही उसे दफन करना पड़ता था। लेकिन एक जमाना आज का है तो इसे याद रखें और वर्तमान हालात से डरने के बजाय उससे लड़ने को तैयार रहें। ”
उन्होंने मुस्लिमों की हौसलाअफजाई करते हुए कहा “ आज भारत का मुसलमान विश्व के हर मुल्क के मुसलमानों से बेहतर है। भारत में मुसलमान बाई चांस नहीं बल्कि च्वाइस से आया है। उन्होंने कहा हालात से मायूस होने के बजाय जरूरी है कि उसे बदला जाए। ये तभी संभव है जब मुस्लिम कौम के नौजवान आगे आएं और अपने किरदार को बदलें।
श्री मदनी ने कहा कि सच्चाई की जीत होती है, क्योंकि धोखा फरेब बहुत दिन तक नहीं चलता। आज की सियासत इसका उदाहरण है। साढे़ चार वर्ष में वो किसी का भला नहीं कर सके, जिसके लिए वह आए थे, आज वो भी खुश नहीं है। क्योंकि इसके पीछे फरेब था।
उन्होंने कहा कि आज हम हर चीज पर समझौता कर सकते हैं, लेकिन फिरकापरस्ती पर कोई समझौता नहीं कर सकते, न सह सकते हैं।कहा कि जिंदगी की सच्चाई मौत है और धोखा जीवन है। लेकिन सबसे जिल्लत का काम है लालच और फिरकापरस्ती। ऐसे में मैं सभी से कहता हूं कि सच्चाई अपना लो लेकिन फिरकापरस्ती के रास्ते पर ना चलें। बोले तालीम तरबियत की होनी चाहिए। बिना तरबियत की तालीम देश, समाज, कौम के लिए खतरनाक होती है।
मौलाना ने कहा कि बिना तरबियत की तालीम पाने वाला डॉक्टर भी डाकू बन सकता है, जो समाज, देश, कौम के लिए नासूर साबित होगा। वैसे ही तरबियत की तालीम के साथ सच्ची सियासत भी जरूरी है। उन्होंने कौम के नौजवानों से आह्वान किया कि हालात से मायूस होने के बजाय 20 साल की प्लानिंग करके किरदार को बदलें।