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हम संविधान से अलग कोई सत्ता केंद्र नहीं चाहते हैं: मोहन भागवत

हम संविधान से अलग कोई सत्ता केंद्र नहीं चाहते हैं: मोहन भागवत

बरेली ,19 जनवरी (वार्ता) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हम शक्ति का कोई दूसरा केंद्र नहीं चाहते, संविधान के अलावा कोई शक्ति केंद्र होगा,तो उसका विरोध करेंगे ।

श्री भागवत रविवार को बरेली के रुहेलखंड विश्वविद्यालय में ‘भविष्य का भारत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ विषय पर बोल रहे थे। इस मौके पर संघ प्रमुख ने संविधान से लेकर हिंदुत्व पर विस्तार से बात की।

उन्होंने कहा कि संघ का कोई एजेंडा नहीं है,संघ भारत के संविधान को मानता है। हम शक्ति का कोई दूसरा केंद्र नही चाहते,संविधान के अलावा कोई शक्ति केंद्र होगा, तो हम उसका विरोध करेंगे क्यों कि ये विचार पहले से तय है, संघ को खत्म करने वाले कितने लोग आए और चले गए, लेकिन संघ को समाप्त नही कर सके.

श्री भगवत ने कहा की सत्य पर आधारित विरोध करने पर सुधार होता है, लेकिन बिना सोचे समझे गुमराह किया जाना अनुचित है। उन्होंने संघ के दृष्टिकोण को विस्तार से समझाते हुए कहा कि भारत एक मजबूत देश है दुनिया में उसकी पहचान बन चुकी है इसे और मजबूत करना है ।

उन्होंने साफ किया किसी विचार किसी राजनीति से जुड़ा नहीं लेकिन जब-जब कोई विचार होता है तो प्रकट किया जाता है । उन्होंने कहा कि संघ का मानना है कि जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर समस्या है, तो समाधान भी है, कुछ लोग भ्रमवश यह कह रहे है कि संघ दो बच्चों तक परिवार को सीमित करने की इच्छा रखता है। पिछले दोनों जनसंख्या नियंत्रण संबंधी मेरे बयान पर भ्रम फैलाया गया ,जबकि ऐसा नहीं कहा गया था। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण जरुरी है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग हम पर आरोप लगाते है , वो हमरे दुश्मन नहीं हैं, वह भी हमारे हैं । उन्होंने कहा कि हम बच्चे पैदा करके भीड़ जमा कर रहे है, लेकिन ऐसा नहीं करना है।

श्री भागवत ने कहा कि संविधान कहता है कि हमें भावनात्मक एकीकरण लाने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन भावना क्या है। वह भावना है, यह देश हमारा है, हम अपने महान पूर्वजों के वंशज हैं और हमें अपनी विविधता के बावजूद एक साथ रहना होगा। इसे ही हम हिंदुत्व कहते हैं।

सं त्यागी

जारी वार्ता

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