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हर क्षेत्र में समान हितधारकों के रुप में महिलाओं को शामिल किया जाना जरुरी :वेंकैया

हैदराबाद, 19 अप्रैल (वार्ता) उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राज्य और केंद्र सरकार तथा गैर-सरकारी संगठनों से वित्तीय प्रबंधन में महिलाओं को शिक्षित करने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह करते हुए गुरुवार को कहा कि जब तक कि महिलाओं को हर क्षेत्र में समान हितधारकों के रूप में शामिल नहीं किया जाता देश के विकास में तेजी नहीं आ सकती।
श्री नायडू ने यहां वोडाफोन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से लर्निंग लिंक्स फाउंडेशन द्वारा वित्तीय साक्षरता के जरिये महिलाओं के सशक्तिकरण पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करे हुए यह बात कही। उन्होंने राज्य और केन्द्र सरकार, गैर सरकारी संगठनों एवं खासकर के सिविल सोसायटी से वित्तीय साक्षरता के जरिये महिलाओं को सशक्त बनाने पर अधिक जोर देने की अपील की।
उन्होंने कहा, “महिलाओं को प्रगति में समान साझेदार बनाने का कार्य अनिवार्य रूप से उन्हें स्वतंत्र बनाने तथा आर्थिक मसलों से निपटने में उन्हें सशक्त बनाने से आरंभ किया जाना चाहिए।”
श्री नायडू ने कहा कि मुद्रा कोष ने भारत की अर्थव्यवस्था को इस वित्त वर्ष के दौरान 7.3 प्रतिशत और 2020 तक 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है। अगले पांच वर्षों में भारत का पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना तय है। उन्होंने कहा,“ एक सशक्त संरचना के निर्माण के द्वारा इस प्रक्रिया में अनिवार्य रूप से महिलाओं को समान साझीदार बनाना चाहिए। यह मानना चाहिए अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सहभागिता के बिना सामाजिक गतिशीलता को हम नहीं बदल सकते।”
उन्होंने वित्तीय अधिकारों, जिम्मेदारियों एवं आय सृजन के अवसरों के बारे में महिलाओं की समझ को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह विशेष रूप से भारत जैसे देश के लिए महत्वपूर्ण है जहां एक तेज आर्थिक और सामाजिक रूपांतरण आ रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवाओं के बारे में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित करना, उनमें आरंभ में ही वित्तीय निवेश के अनुशासन की भावना का संचार करना न केवल उन्हें बेहतर ढंग से घर चलाने में सक्षम बनायेगा बल्कि इससे हमारे देश के भाग्य में बदलाव लाने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता न केवल महिलाओं की बल्कि प्रत्येक नागरिक की चिंता होनी चाहिए। वित्तीय साक्षरता के जरिये महिलाओं को सशक्त बनाना न केवल लैंगिक अंतर को पाटने में सहायक होगा बल्कि यह महिलाओं के लिए अधिक खुशहाल भविष्य भी सुनिश्चित करेगा। इसके साथ-साथ आर्थिक सशक्तीकरण के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण और कौशल प्रदान करना भी महत्वपूर्ण है।
आशा.श्रवण
वार्ता
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