भोपाल, 15 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आज कहा कि राज्य में 25 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव शीघ्र कराए जाएं।
श्री पटवारी ने यहां पत्रकार वार्ता में कहा कि वे निर्वाचन आयोग से सभी 25 सीटों पर उपचुनाव जल्दी से जल्दी कराने की मांग करते हैं। शीघ्र ही पार्टी इस संबंध में विधिवत आयोग से मांग करेगी। उनका कहना है कि यदि शीघ्र चुनाव हो जाएं, और जिस दिन नतीजे आ जाएंगे, उसी दिन मौजूदा सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ेगा। उनका दावा है कि उपचुनाव में कांग्रेस की विजय होगी।
श्री पटवारी ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार का उद्देश्य किसी भी तरह सरकार में बने रहना है। भ्रष्टाचार कर विधायकों को प्रलोभन देकर यह सरकार सत्ता में बने रहना चाहती है। इसलिए उपचुनाव जल्दी से जल्दी कराना आवश्यक है।
श्री पटवारी ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि जो लोग 'सेवा' की बात करते थे, उनके खिलाफ लोग कोर्ट गए हैं। कोर्ट में पूछा जा रहा है कि सरकारी ट्रस्ट, प्राइवेट ट्रस्ट कैसे हो गए। सरकारी जमीनों पर प्राइवेट नाम कैसे डल गए। पूरे ग्वालियर चंबल अंचल में इस बात की चर्चा है कि क्या कारण है कि अपने आप को राजा महाराजा के परिवार से बताने वाले गरीबों की जमीन छीनने में क्यों लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, सरकार के क्रियाकलापों पर नजर रखे हुए है।
एक सवाल के जवाब में श्री पटवारी ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ही पावस सत्र में विधानसभा में विपक्ष के नेता होंगे।
श्री पटवारी ने कुछ समय पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे किसानों की ऋणमाफी और अतिथि शिक्षकों के मुद्दों पर जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं। वे अब सड़क पर उतरने की बात क्यों नहीं कर रहे हैं। वे यह भी बताएं कि पूर्ववर्ती सरकार में परिवहन, राजस्व, स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग में क्या भ्रष्टाचार हुए।
एक अन्य सवाल के जवाब में श्री पटवारी ने कहा कि भाजपा नेता, कांग्रेस की चिंता छोड़कर अपनी ही चिंता करें। आने वाले उपचुनावों के बाद स्थिति साफ हो जाएगी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसान हितैषी बनने का प्रयास कर रही है, लेकिन सच्चायी यह है कि किसान आत्महत्या के प्रकरण फिर सामने आने लगे हैं। उन्होंने जबलपुर के प्रकरण का उदाहरण भी दिया।
उन्होंने राज्य में कोरोना की स्थिति भी नियंत्रण में नहीं होने का आरोप लगाया और कहा कि सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध हैं, लेकिन राजनैतिक रैलियां जारी हैं।
प्रशांत
वार्ता