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जेजे अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान होना चाहिए: अजित पवार

जेजे अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान होना चाहिए: अजित पवार

मुंबई, 02 जून (वार्ता) महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने शुक्रवार को कहा कि मुंबई के जेजे अस्पताल के नेत्र विभाग के नौ वरिष्ठ डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा, अस्पताल के एमएआरडी रेजिडेंट डॉक्टरों का अनिश्चितकालीन हड़ताल और वरिष्ठ चिकित्सकों का आंतरिक विवाद इलाज और स्वास्थ्य देखभाल सेवा को प्रभावित कर रहा है।

श्री पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर मांग की कि यह सब समाप्त होना चाहिए और मरीजों की दिक्कतों पर विराम लगाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मुंबई के जेजे अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच आंतरिक विवाद के कारण, चिकित्सा सेवाएं ठप हो चुकी हैं और रोगियों और उनके रिश्तेदारों की स्थिति बहुत खराब हो रही है।

नेत्र विज्ञान विभाग प्रमुख डॉ. रागिनी पारेख, जेजे अस्पताल की पूर्व संस्थापक पद्मश्री डॉ. तात्या राव लहाणे, डॉ. शशि कपूर, डॉ. दीपक भट, डॉ. सैली लचने, डॉ प्रीतम सामंत, डॉ. स्वर्णजीत सिंह भट्टी, डॉ. अश्विन बाफना, डॉ. हेमलिनी मेहता सहित नौ वरिष्ठ डॉक्टरों ने अचानक सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है।

बड़ी संख्या में आंख के वरिष्ठ डॉक्टरों के इस्तीफा देने के साथ, अस्पताल में नेत्र विज्ञान विभाग में मरीजों की जांच और रेजिडेंट डॉक्टरों को पढ़ाने का काम ठप हो गया है।

नौ वरिष्ठ डॉक्टरों के इस्तीफे के साथ ही अस्पताल में एमएआरडी के 750 रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल के कारण अस्पताल के सभी विभागों के मरीजों की देखभाल पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।

माना जा रहा है कि डॉ. पारेख, डीन डॉ. पल्लवी सपले, डॉ. लने सहित नौ वरिष्ठ डॉक्टरों ने उत्पीड़न और असहयोग के कारण इस्तीफा सौंपा है।

श्री पवार ने कहा कि जेजे अस्पताल जैसे प्रतिष्ठित, गैर-लाभकारी स्वास्थ्य संस्थान के वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच इस प्रकार का विवाद होना सही नहीं है और इस विवाद को तुरंत समाप्त करना चाहिए क्योंकि यह राज्य की स्वास्थ्य देखभाल के लिए बहुत घातक है।

श्री पवार ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री इस विवाद का तत्काल, सार्वभौमिक और व्यावहारिक समाधान निकालें, किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए और यह राज्य की स्वास्थ्य देखभाल सेवा के हित में भी होगा।

अभय,आशा

वार्ता

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