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प्राईवेट मेडिकल कॉलेज में दिया जाये छात्रों को दाखिला

जबलपुर, 05 फरवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने साक्षी मेडिकल कॉलेज गुना की मान्यता समाप्त किये जाने के कारण दाखिला प्राप्त छात्रों द्वारा शासकीय मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिये जाने की मांग को लेकर दायर याचिका की सुनवाई में इन छात्रों का दाखिला प्रदेश के अन्य पांच मेडिकल कॉलेज में दिए जाने के आदेश दिए हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर एस झा तथा न्यायाधीश संजय द्विवेदी की युगलपीठ ने जांच कमेटी की रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए पाया किया कि साक्षी मेडिकल कॉलेज में आवश्यक आधारभूर्त संरचना नहीं है। युगलपीठ ने दायर याचिकाओं का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि साक्षी मेडिकल कॉलेज के छात्रों का दाखिला प्रदेश के अन्य पांच मेडिकल कॉलेज में किया जाये।
याचिकाकर्ता एनाई पिपले तथा अन्य 122 छात्रों की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उनका चयन नीट परीक्षा 2016 में हुआ था। चयन के बाद डीएमई ने उन्हें साक्षी मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिया था। हॉस्पिटल, ब्लड-बैंक, टीचिंग स्टॉफ सहित अन्य आवश्यक मूलभूर्त सुविधा नहीं होने के कारण मेडिकल काऊसिंल आॅफ इंडिया ने कॉलेज की मान्यत रद्द कर दी थी। इसके बाद वर्ष 2017-18 तथा वर्ष 2018-19 में भी सीट आवंटित नहीं की गयी है।
याचिका में कहा गया था कि प्रदेश सरकार ने लिखित में अंडर टैकिंग कि संबंधित मेडिकल छात्रों की जिम्मेदारी उनकी है, इसलिए उन्हें शासकीय मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिया जाये। जिससे वह एमबीबीएस कोर्स पूरा कर सके।
याचिका की सुनवाई के दौरान साक्षी मेडिकल कॉलेज की तरफ से कहा गया था कि उनके पास एमसीआई द्वारा निर्धारित गाइड लाइन के सभी सुविधाएं उपलब्ध है। एमसीआई ने मनमाने तरीके से उनके कॉलेज की मान्यत निरस्त की है।
याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने पुलिस अधीक्षक गुना को साक्षी मेडिकल कॉलेज के समस्त दस्तावेज सीज करने के आदेश जारी किये थे। इसके अलावा जिला व सत्र न्यायाधिश की अध्यक्षता में डीएमई तथा मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की तरफ से नियुक्त एक-एक व्यक्ति सहित पुलिस अधीक्षक सहित 6 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। जांच कमेटी को कॉलेज के निरीक्षण तथा दस्तावेज की जांच कर अपनी रिपोर्ट न्यायालय में पेश करनी थी।
याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि ब्लड बैंक, 300 बैड का अस्पताल, प्रोफेशर सहित अन्य आधारभूर्त सुविधा नहीं है। युगलपीठ ने पाया कि प्रदेश के शासकीय मेडिकल कॉलेज में रिक्त नहीं है। युगलपीठ ने एमसीआई की तरफ से पेश किये गये पत्र के आधार पर छात्रों को प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेज में प्रवेश देने के निर्देश देते हुए याचिका का निराकरण कर दिया।
सं बघेल
वार्ता
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